आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण में शासनादेश के विरूद्ध अफसर की मनमानी पोस्टिंग का मामला आज सामने आया है। करीब आठ साल चार महीनों तक एलडीए में जुगाड़ के दम पर जमे विनोद कुमार श्रीवास्तव का जनहित में सहायक लेखाधिकारी के पद पर शासन ने वाराणसी विकास प्राधिकरण के लिए आखिरकार तबादला कर दिया है। दो दिन पहले हुए इस आदेश का पालन नहीं होने के चलते शनिवार को सवाल उठने लगें कि चुनिंदा अफसरों के चहेते विनोद श्रीवास्तव प्राधिकरण में तीन की जगह दस साल पूरे करने के बाद ही बिदा होंगे। हालांकि चर्चाओं के बीच अपरान्ह करीब चार बजे विनोद श्रीवास्तव को एलडीए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी ने वीडीए के लिए कार्यमुक्त कर दिया है।
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उल्लेखनीय है कि आवास एवं शहरी नियोजन के अनुभाग सात की ओर से सहायक लेखाधिकारी के ट्रांसफर का आदेश 16 अक्टूबर को ही जारी कर दिया गया था। आदेश के अनुसार यूपी विकास प्राधिकरण के केन्द्रीयित सेवा के सहायक लेखाधिकारी विनोद श्रीवस्तव को जनहित में तत्काल प्रभाव से इसी पद पर वीडीए में तैनात किया जाता है।
तत्काल कार्यमुक्त कर शासन को अविलंब बताएं
इसके अलावा दो दिन पहले किए गए आदेश में एलडीए वीसी को भी निर्देश दिए गए थे कि विनोद श्रीवास्तव को उनकी नई तैनाती के स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने के लिए तत्काल कार्यमुक्त करें। साथ ही कार्यमुक्ति की सूचना भी बिना देर किए शासन को उपलब्ध कराने का कष्ट करें।
तैनाती के छह साल बाद प्रमोशन, फिर भी ट्रांसफर नहीं
जानकारी के अनुसार विनोद श्रीवास्तव की सपा सरकार के दौरान एलडीए में जुलाई 2015 में लेखाकार के पद पर तैनाती हुई थी, लेकिन नियमों के उलट वह तीन की जगह छह साल तक प्राधिकरण में सिर्फ लेखाकार के ही पद पर डटे रहें। इस बीच जून 2021 में प्रमोशन होने पर वह सहायक लेखाधिकारी भी बन गए, लेकिन शासन में बैठे अफसरों को प्रमोशन के बाद भी उनके ट्रांसफर की याद नहीं आई।
इस तरह दो बार शासनादेशों की अनदेखी कर सहायक लेखाधिकारी की एलडीए में नौकरी चलती रही। शानिवार को एकाएक सोशल मीडिया पर ट्रांसफर आदेश वायरल होने पर लोगों को पता चला कि सहायक लेखाधिकारी का दो दिन पहले ही वीडीए ट्रांसफर कर दिया गया है। जिसके बाद शाम को कुछ अफसरों ने विनोद श्रीवास्तव को एलडीए से बिदाई दी।