दिन में हटवाया डेढ़ सौ करोड़ की जमीन से अवैध कब्‍जा, रात में हो गया LDA उपाध्‍यक्ष का ट्रांसफर, भ्रष्‍ट अफसर-इंजीनियरों के “कॉकस” को खटक रहे थे अक्षय त्रिपाठी

अक्षय त्रिपाठी
अक्षय त्रिपाठी।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण के बारे में कहा जाता है, कुर्सी पर लंबे समय तक किसी उपाध्‍यक्ष को जमे रहना है तो एलडीए से लेकर सत्‍ता–शासन में जड़े जमाए रखने वाले भ्रष्‍ट अफसर, इंजीनियर व कर्मियों के ‘कॉकस’ के कारनामों को देखने-सुनने के बाद भी नजरअंदाज करना होगा। इनके खिलाफ कार्रवाई करने वाले वीसी का कार्यकाल एक साल का भी नहीं होता। यह बात आज एक बार फिर उस समय लगभग सही साबित हुई, जब 11 महीने पहले वीसी का चार्ज संभालने वाले अक्षय त्रिपाठी का तबादला कर दिया गया। अक्षय त्रिपाठी न सिर्फ जनहित व आवंटियों के हित में फैसले ले रहे थे, बल्कि मनमानी व भ्रष्‍टाचार का मामला सामने आने पर अफसर, इंजीनियर व कर्मियों के अलावा बाहरी लोगों पर भी अपने स्‍तर से कार्रवाई कर रहे थे।

आज रात आए ट्रांसफर ऑर्डर से कुछ घंटे पहले भी उपाध्‍यक्ष ने अहिमामऊ-सुल्तानपुर रोड चौराहे के पास स्थित एलडीए की दो लाख वर्ग फुट जमीन पर से अवैध कब्‍जा हटवाया था। खाली कराई गयी जमीन की कीमत करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपये है। इस जमीन पर लगभग डेढ़ दशक से दर्जनभर से अधिक दबंगों ने कब्‍जा कर रखा था।

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साल 2011 में एलडीए के तत्‍कालीन इंजीनियरों ने भी अवैध कब्‍जे की रिपोर्ट बनाई थी, लेकिन उसके बाद कई अफसर आए-गए लेकिन किसी ने भी इस जमीन को खाली कराने की जरूरत नहीं समझी। कुछ महीना पहले जानकारी मिलने पर अक्षय त्रिपाठी ने मौका मुआयना करने के साथ ही जमीन कब्‍जा मुक्‍त कराने की अफसरों के साथ प्‍लॉनिंग की थी, जिसे आज ही अमली जामा पहनाते हुए एलडीए के अफसर-इंजीनियरों की संयुक्‍त टीम ने पुलिस की सहायता से आठ घंटों तक अभियान चलाते हुए दो लाख वर्ग फुट जमीन को कब्‍जा मुक्‍त कराया।

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जमीन खाली होने की चर्चा सोशल मीडिया पर चल ही रही थी कि वीसी के तबादले के आदेश ने लोगों को चौंका दिया, हालांकि कुछ लोग इसे कमिश्‍नर रतन कुमार व हाल में एलडीए से हटाए गए चीफ इंजीनियर इंदू शेखर के बीच चल रही खींचतान से जोड़कर भी देख रहें हैं। वहीं जानकारों का यह भी मानना है कि सीधे सीएम से जुड़े विभाग एलडीए की छवि अगर सुधारनी है तो न सिर्फ यहां लंबे समय से जमे भ्रष्‍ट व मनमानी करने वाले अधिकारियों की छंटनी करनी होगी, बल्कि विभाग के मुखिया की कुर्सी पर ईमानदार अफसर को बैठाने के साथ ही उसकी कार्यप्रणाली को भी सपोर्ट करना होगा।

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इसलिए खटक रहे थे उपाध्‍यक्ष!

अपने 11 महीनों के कार्यकाल में अक्षय त्रिपाठी एलडीए के भ्रष्‍ट अफसर व इंजीनियरों के लिए परेशानी का सबब ही बनें रहें। इस दौरान उन्‍होंने न सिर्फ बड़ी संख्‍या में हुई प्‍लॉटों की फर्जी रजिस्‍ट्री का मामला पकड़ा, बल्कि अपने कर्मियों समेत दर्जनों लोगों के खिलाफ मुकदमा तक दर्ज कराया।

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इसके अलावा एलडीए की सबसे ज्‍यादा बदनामी कराने वाले मुद्दे यानि अवैध निर्माण की ठेकेदारी का मामला सामने आने पर वीसी ने पहली बार प्रवर्तन में जोनल सिस्‍टम लागू किया और फिर अवैध निर्माण रोकने में नाकाम व अवैध निर्माण कराने व बचाने का ठेका लेने के लिए चर्चित इंजीनियरों की भी उन्‍होंने प्रवर्तन से छुट्टी कर दी थी।

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इसके अलावा कुछ जोनल अफसरों को भी मनमाने ढ़ग से वीसी अवैध बिल्डिंगों की न सिर्फ सील नहीं खोलने दे रहे थे, बल्कि अवैध निर्माण पर सख्‍त कार्रवाई के लिए भी दबाव बना रहे थे। साथ ही अवैध निर्माण के ठेकेदारों के पैंतरों को समझते हुए वीसी ने हाल ही में ‘दृष्टि’ एप्‍प लांच किया था, इसके जरिए कोई भी अवैध निर्माण किस अफसर व कर्मी के कार्यकाल में बना आसानी से पता लगाया जा सकेगा।

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यहां बताते चलें कि चारबाग में दो होटल में सालों पहले हुए अग्निकांड में मासूम समेत सात बेगुनाहों की जान जाने के मामले में आज तक इसी बात का बहाना बनाकर कार्रवाई नहीं की जा सकी है कि होटल को बनवाने व बचाने में एलडीए के कौन-कौन से अधिकारी इंजीनियर व कर्मी शामिल थे। भविष्‍य में इस तरह की घटना होने पर ‘दृष्टि’ एप्‍प बेहद कारगार साबित होगा।

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वहीं पार्कों व स्‍मारकों में मनमाने ढंग से टेंडर कराने व उसके बाद काम कराने की जगह ठेकेदारों से मिलीभगत कर जनता के पैसों की बंदरबांट रोकने के लिए अधिकारियों की जिम्‍मेदारी तय करने के साथ ही पार्कों में क्‍यूआर कोड भी लगवाए थे, जिसके जरिए जनता सीधे अपना फीड बैक दे सकती है।

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यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भी उपाध्‍यक्ष ने करोड़ों रुपए के दर्जनों टेंडरों को संदिग्‍ध तरीके से कराए जाने की जानकारी पर कैंसिल करा दिया था। इसको लेकर भी इंजीनियर व ठेकेदारों का एक वर्ग वीसी से नाराज चल रहा था। कुछ अधिकारी वीसी के विभिन्‍न मुद्दों पर आए दिन मीटिंग लिए जाने से भी नाराज थे।

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इसके अलावा वीसी एलडीए में ई-ऑफिस प्रणाली लागू करने जा रहे थे, इसके लागू होते ही न सिर्फ आवंटियों के कामों में पादर्शिता आ जाती, बल्कि अवैध तरीके से किए गए प्‍लॉटों के फर्जी समायोजन समेत अन्‍य संपत्तियों से जुड़े दस्‍तावेजों को गायब करना मुश्किल हो जाता।

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साथ ही एलडीए के टेंडर में  मानवीय हस्‍ताक्षेप समाप्‍त करने व गड़बड़ी रोकने के लिए हाल ही में वीसी ने ऑनलाइन टेक्निकल सॉफ्टवेयर तैयार कराया था। इसके साथ ही वीसी के निर्देश पर एलडीए के अफसर व इंजीनियरों की टीम ने ताज होटल से पार्क खाली कराने समेत लखनऊ में अन्‍य दर्जनों जगाहों से अवैध कब्‍जे हटवाकर एलडीए की अरबों की जमीनों को बचाया था।

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वहीं वीसी ने एलडीए की आय बढ़ाने के लिए शमन मानचित्र सेल का गठन करने के साथ ही राजस्‍व व्‍यय में कटौती और पूंजीगत आय में बढ़ोतरी कर 50 करोड़ बचाए थे, जिसको लेखा विभाग ने दो बैंकों में एफडी भी कराई थी, जबकि डेढ़ दशक से लंबित गऊ घाट से आइआइएम रोड को जोड़ने वाली बंधा रोड पर भी अप्रैल से यातायात शुरू कराने जैसे भी कई काम कराए थे।

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