सांसद खेल महाकुंभ का उद्घाटन कर रक्षा मंत्री ने कहा, PM मोदी के नेतृत्व में विकसित हुई नई खेल संस्कृति

राजनाथ सिंह
स्‍टेडियम में बैठे लोंगों का अभिवादन स्‍वीकारते रक्षामंत्री साथ में डिप्‍टी सीएम।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। देश में एक नई खेल संस्कृति विकसित हुई है। पहले भारत के खिलाड़ी जीतने से अधिक भागीदारी से संतुष्ट हो जाते थे मगर आज भारत के खिलाड़ी पूरी दुनिया में जहां कहीं जाते हैं, उन्हें गंभीरता से लिया जाता है। इस बदलाव के पीछे बड़ी वजह सरकार की स्पोर्ट्स फ्रेंडली नीतियां भी हैं।

उक्त बातें शनिवार को केडी सिंह बाबू स्टेडियम में आयोजित सांसद खेल महाकुंभ को संबोधित करते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कही। साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खेलो इंडिया के माध्यम से आज के बदलते भारत में गांवों व छोटे शहरों की प्रतिभाओं को खुलकर आगे आने का मौका मिल रहा है। खेलो इंडिया के तहत तीन हजार से अधिक खिलाड़ियों को प्रतिमाह 50 हजार रुपये की सहायता दी जा रही है, जो उन्हें प्रशिक्षण, आहार, कोचिंग, किट, आवश्यक उपकरण और अन्य जरूरतों को पूरा करने में मदद करती है। जमीनी स्तर पर लगभग 1,000 खेलो इंडिया केंद्रों में हजारों खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं।

2047 तक विकसित भारत के निर्माण का लक्ष्य

रक्षा मंत्री ने कहा कि आज हमारी सरकार 2036 में होने वाले ओलंपिक खेलों का आयोजन गुजरात में करने के लिए पूरा प्रयास कर रही है। वहीं, अन्य विश्व स्तरीय खेलों का भी आयोजन भारत में हो, इसके भी प्रयास चल रहे हैं। जहां तक उत्तर प्रदेश का सवाल है तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अगले नेशनल गेम्स के आयोजन के लिए प्रयास करना चाहिए। आज पूरा देश, नेशन फर्स्ट को पहले रखकर खिलाड़ियों की तरह सोच रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2047 तक विकसित भारत के निर्माण का लक्ष्य रखा है। खेल और खिलाड़ियों के प्रति समाज की धारणा बदलीराजनाथ सिंह ने कहा कि आज खेलों और खिलाड़ियों के प्रति समाज की धारणा बदली है। आज माता-पिता अपने बच्चों को लिएंडर पेस, सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, रोहित शर्मा, पीवी सिंधु, गुकेश और नीरज चोपड़ा जैसे खिलाड़ी और एथलीट के रूप में देखना चाहते हैं।

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लखनऊ की खेल संस्कृति को संवारा

साथ ही कहा कि लखनऊ शहर अपने स्पोर्टिंग कल्चर के लिए केवल उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश-विदेश में जाना जाता था। जिन महान हॉकी खिलाड़ी केडी सिंह बाबू के नाम से यह स्टेडियम जाना जाता है, उन्होंने यहां काफी लम्बा समय बिताया। इतना ही नहीं हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद ने भी लखनऊ की खेल संस्कृति को संवारा है। उनके बेटे अशोक कुमार और विख्यात ओलंपियन जमन लाल शर्मा की यह कर्मभूमि रही है।

भारत का पहला एस्ट्रो टर्फ इसी लखनऊ…

इसके अलावा भारत का पहला एस्ट्रो टर्फ भी इसी लखनऊ के स्पोर्ट्स कॉलेज में अस्सी के दशक में लगाया गया। लखनऊ में आजकल इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल के मुकाबले हो रहे हैं, मगर एक समय था जब इसी डीसिंह बाबू स्टेडियम में शीशमहल ट्रॉफी नाम से एक क्रिकेट टूनार्मेंट का आयोजन होता था और टीम इंडिया के बड़े खिलाड़ी लखनऊ में खेलते नजर आते थे। आज यह सांसद खेल महाकुंभ भी लखनऊ के स्पोर्टिंग कैलेंडर में जुड़ गया है।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, विधायक नीरज बोरा, विधायक योगेश शुक्ला, महापौर सुषमा खर्कवाल, भाजपा के महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी सहित भाजपा के पदाधिकारी और खेल प्रेमी व सैकड़ों खिलाड़ी मौजूद रहे।

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