आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। मुस्लिम वोटर के चलते नगर निकाय चुनाव से उत्तर प्रदेश में वापसी की राह पर लौटी बसपा सुप्रीमो ने आज एक बार फिर अपना कड़ा रूख दिखाया है। मायावती ने इस बार पश्चिम यूपी के कद्दावर नेता व राज्यसभा सांसद मुनकाद अली के बेटे सलमान व फरमान को पार्टी से बाहर निकाल दिया है। वहीं मायावती ने बाबा साहब की पुण्यतिथि के मौके पर छुट्टी रद्द किए जाने से योगी सरकार पर जमकर हमला बोलने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी निशाना साधा है।
मायावती ने अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मुझे बताया गया कि मुनकाद अली के बेटें अपने समर्थकों के साथ एक दुकान प्रकरण के मामले में जबरन कब्जा करने व साथ ही एक दलित की भी दुकान में तोड़फोड़ आदि करने के प्रकरण में शामिल है। जिसे गंभीरता से लेते हुए मुनकाद अली के बेटों को बीएसपी से निकाल दिया गया है।
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वहीं मुनकाद अली के बारे में टिप्पणी करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने मीडिया से कहा कि पुत्र के खिलाफ की गई इस कार्रवाई का बुरा लगता है तो फिर वो भी पार्टी में रहने व ना रहने के लिये पूरे तरह से आजाद हैं। अपने पुत्र मोह से अलग हटकर पार्टी हित में, मेरे इस फैसले का स्वागत करते हैं तो बसपा पूर्व व वर्तमान की तरह हर स्तर पर आगे भी पूरा-पूरा सम्मान देगी।
मयावती ने इस दौरान दावा किया कि उनके लिए पार्टी के सिद्धान्त व वसूल सर्वोपरि है ना कि पार्टी के एमपी, एमएलए व एमएलसी एवं चेयरमैन आदि। इसी वसूलों पर चलते हुए मैंने अपनी सरकार में अपनी पार्टी के एक लोकसभा सांसद व विधायक को भी खुद ही जेल की सलाखोंके पीछे भिजवाया है, जिसे उत्तर प्रदेश की जनता अभी भी याद करती है। यहां बताते चलें कि मुनकाद अली के बेटे सलमान की पत्नी अभी हाल ही में मेरठ जिले की किठौर नगर पंचायत से बसपा के टिकट पर अध्यक्ष भी चुनी गई है।
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वहीं योगी सरकार के छह दिसंबर की छुट्टी रद्द किए जाने पर मायावती ने अफसोस जताते हुए कहा कि इससे योगी सरकार की बाबा साहब और दलित विरोधी मानसिकता साफ तौर पर सामने आ गयी है। वहीं सरकारी कार्यालयों में अंबेडकर की तस्वीर लगाए जाने पर बसपा सुप्रीमो ने छलावा बताते हुए कहा कि बीजेपी का नया प्रेम ना केवल दिखावटी है बल्कि पूरी तरह से छलावा भी है और अगर ऐसा नहीं है तो बीजेपी की जहां भी सरकारें हैं वहां बाबा साहब की घोर उपेक्षा व उनके अनुयाइयों पर हर प्रकार की जुल्म-ज्यादती पहले की तरह जारी है। साथ ही उनके नाम पर बनवाएं गए स्मारक पार्क की उपेक्षा क्यों की जा रही है। इस प्रकार बीजेपी व खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी की नीयत पर कौन भरोसा कर सकता है?
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चुनाव के समय अयोध्या मुद्दे के जरिए हिंदू-मुस्लिम कर फायदा उठाती है भाजपा
अयोध्या मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में मायावती ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट पर ही छोड़ देना बेहतर है कि वह कब और कैसे इस मामले की सुनवाई करता है और कब व क्या इसका फैसला तय करता है। इस संवेदनशीन मामले में बीजेपी व कांग्रेस को राजनीति नहीं करनी चाहिये। उन्होंने कटाक्ष करते हुए आगे कहा कि जनता समझ चुकी है कि चुनाव का समय होता है तो बीजेपी वोट के स्वार्थ के ख़ातिर अयोध्या का धार्मिक मुद्दा उछालकर माहौल को हिन्दू-मुस्लिम का रूप देकर इसे कैश करती है।
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