आरयू वेब टीम।
मोबाइल नंबर को आधार कार्ड से लिंक कराने की बात पर सुप्रीम कोर्ट ने एक चौंकाने वाली बात कहने के साथ ही मोबाइल सिम को आधार से लिंक करने पर सवाल उठाएं हैं। देश की उच्चतम न्यायलय ने कहा है कि उसने कभी भी मोबाइल नंबर से आधार को जोड़ने का निर्देश नहीं दिए। पिछले काफी समय से बैंकिंग से लेकर कई सेक्टरों की ओर से उपभोक्ताओं पर आधार से मोबाइल नंबरों को जोड़ने का दबाव बनाने की बात पर ये बात सामने आई है।
उच्चतम न्यायलय ने मोदी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि सरकार ने छह फरवरी 2017 को दिए गए उसके आदेश की गलत व्याख्या की है। एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल फोन को आधार से अनिवार्य रूप से जोड़ने के सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं।
यह भी पढ़ें- मिली राहत: अब 30 जून तक जनकल्याण की योजनाओं से आधार को कराएं लिंक
देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि मोबाइल उपयोगकर्ताओं के अनिवार्य सत्यापन पर उसके पिछले आदेश को ‘औजार’ के तौर पर इस्तेमाल किया गया। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि ‘लोक नीति फाउंडेशन’ द्वारा दायर जनहित याचिका पर उसके आदेश में कहा गया था कि मोबाइल के उपयोगकर्ताओं को राष्ट्र सुरक्षा के हित में सत्यापन की आवश्कता है।
यह भी पढ़ें- STF के हत्थे चढ़ा फर्जी आधार कार्ड बनाने वाला गिरोह, सगे भाई समेत 10 गिरफ्तार
इस संवैधानिक पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा जस्टिस एके सिकरी, जस्टिस एएन खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एके भूषण शामिल हैं। यह पीठ आधार और इसके 2016 के एक कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
पीठ ने साफ शब्दों में कहा कि असल में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया, लेकिन आपने इसे मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए आधार अनिवार्य करने के लिए औजार के रूप में प्रयोग किया।
यह भी पढ़ें- खुशखबरी: सुप्रीम कोर्ट ने आधार से एकाउंट और मोबाइल नंबर लिंक कराने की बढ़ाई डेडलाइन
वहीं भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआइ) की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि दूरसंचार विभाग की अधिसूचना ई केवाईसी प्रक्रिया के प्रयोग से मोबाइल फोन के दोबारा सत्यापन की बात करती है।
उन्होंने बेंच से ये भी कहा कि टेलीग्राफ कानून सेवाप्रदाताओं की ‘लाइसेंस स्थितियों पर फैसले के लिए केंद्र सरकार को विशेष शक्तियां देता है। इसपर संवैधानिक पीठ ने कहा कि आप (दूरसंचार विभाग) सेवा प्राप्त करने वालों के लिए मोबाइल फोन से आधार को जोड़ने के लिए शर्त कैसे लगा सकते हैं? पीठ ने आगे अपनी बात में यह भी जोड़ा कि लाइसेंस समझौता सरकार और सेवा प्रदाताओं के बीच है।
राकेश द्विवेदी ने कहा कि मोबाइल के साथ आधार को जोड़ने का निर्देश ट्राई की सिफारिशों के संदर्भ में दिया गया था। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना राष्ट्र के हित में है कि सिम कार्ड उन्हें ही दिए गए जिन्होंने इसके लिए आवेदन किया।
यह भी पढ़ें- राहुल का तंज, आधार, चुनाव, CBSE पेपर, हर चीज में लीक है, चौकीदार वीक है
दरअसल में राकेश द्विवेदी उन आरोपों के संदर्भ में अपनी बात रख रहे थे, जिसके तहत कहा जा रहा रहा कि सरकार नागरिकों के सर्विलांस की कोशिश कर रही है। वकील ने कहा कि टेलिग्राफ एक्ट के सेक्शन चार के तहत सरकार के पास आधार को मोबाइल से लिंक करने का कानूनी आधार था। उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम राष्ट्रीय हित के लिए भी उचित है।
यह भी पढ़ें- फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी, प्रवेश अवैध: सुप्रीम कोर्ट
उन्होंने सुनवाई की शुरुआत में ही आरोप लगाया कि आधार स्कीम को गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा था। ऐसा इसलिए क्योंकि कोई भी बैंकों और टेलिकॉम फर्मों को जानकारी एकत्रित करने पर सवाल नहीं उठा रहा था। वकील ने इस पर भी जोर दिया कि बैंकों और टेलिकॉम कंपनियों के पास नागरिकों का ज्यादा बड़ा डेटा बेस है।
यह भी पढ़ें- बेटा करता रहा मिन्नतें, बिना आधार के कारगिल शहीद की पत्नी को नहीं मिला इलाज, मौत