आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में उत्तीर्ण और काउंसलिंग से बाहर किए गए हजारों अभ्यर्थियों ने शनिवार को सूबे की राजधानी में जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान अभ्यर्थियों ने शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल के आवास और निशातगंज स्थित बेसिक शिक्षा निदेशालय का घेराव किया, बल्कि करीब आधा दर्जन अभ्यर्थियों ने जान देने की भी कोशिश कर हड़कंप मचा दिया।
योगी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए चार अभ्यर्थियों ने न सिर्फ गोमती नदी में जान देने के लिए छलांग लगा दी, बल्कि एक अभ्यर्थी ने एससीईआरटी पर अपने हाथ की नस भी काट ली। हालांकि सभी अभ्यर्थियों को बचा लिया गया है। वहीं अभ्यर्थियों में प्रदेश सरकार और अधिकारियों के प्रति जबरदस्त रोष व्याप्त है। यहां बताते चलें कि अभ्यर्थी बीते 28 अगस्त से नियुक्ति की मांग को लेकर ईको गार्डेन में प्रदर्शन कर रहें हैं। अभ्यर्थियों की मांग है कि शेष सीटों पर कटऑफ गिराकर उनको नियुक्ति दी जाए।
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इसी मांग को लेकर आज अभ्यर्थी निशातगंज स्थित एससीईआरटी का घेराव करने पहुंचे थे। महीने का दूसरा शनिवार होने के चलते उन्हें वहां कोई अधिकारी नहीं मिला। हालांकि बड़ी संख्या में पुलिस जरूर तैनात थी। कुछ समय नारेबाजी के बाद अभ्यर्थी बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल के आवास पर घेराव करने पहुंचें। यहां भी नारेबाजी व पुलिस-प्रशासन के मनाने के बाद उन्हें सरकारी वाहनों से लक्ष्मण मेला मैदान पहुंचाया गया।
यहां दिन में प्रदर्शन के दौरान चार अभ्यर्थियों ने गोमती नदी में छलांग लगा दी। अभ्यर्थियों को डूबता देख वहां भगदड़ मच गयी। जिसके बाद अन्य अभ्यर्थियों ने किसी तरह से सभी को नदी से बाहर निकाला। जिसके बाद सभी को उपचार के लिए सिविल अस्पताल पहुंचाया गया। जहां प्राथमिक उपचार के बाद अभ्यर्थियों की हालत में काफी हद तक सुधार आ गया।
दूसरी ओर गोमती के किनारे से हटते हुए अभ्यर्थियों ने एक बार फिर निशातगंज स्थित निदेशालय का घेराव कर दिया। नारेबाजी चल ही रही थी कि तभी जौनपुर निवासी अभ्यर्थी अवनीश मिश्रा ने अपनी कलाई की नस काट ली। खून निकलता देख एक बार फिर अभ्यर्थियों में एक बार फिर चीख-पुकार मच गयी। तभी वहां मौजूद पुलिस ने तेजी दिखाते हुए एम्बुलेंस से अवनीश को सिविल अस्पताल इलाज के लिए पहुंचाया। इस दौरान पुलिस को अभ्यर्थियों के विरोध का भी सामना करना पड़ा। दूसरी ओर रात तक अभ्यर्थी अपनी मांगों को लेकर निदेशालय पर डंटें रहें।
इस दौरान अभ्यर्थी लगातार प्रदेश सरकार पर धोखा देने का आरोप लगा रहे थे। अभ्यर्थियों का कहना था कि सरकार ने खुद ही 21 मई को संशोधित जीओ जारी कर परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए न्यूनतम अर्हता 30 से 33 प्रतिशत कर दी गई थी, इसी हिसाब से बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने अपनी तैयारी कर ली थी, लेकिन भर्ती परीक्षा के उपरांत 13 अगस्त को 40 से 45 प्रतिशत उत्तीर्णांक पर परिणाम घोषित कर दिया गया।
जबकि मुख्यमंत्री पहले यह भरोस दिला चुके थे कि काउंसलिंग प्रक्रिया 30 से 33 प्रतिशत की अर्हता पर ही की जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं करने के चलते 41,556 अभ्यर्थी ही उत्तीर्ण हुए और 26,944 सीटें खाली रह गयी। अब खाली सीटों पर उन लोगों की नियुक्ति की जानी चाहिए।