आरयू वेब टीम। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इसके तहत अब सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय भी सूचना के अधिकार कानून (आरटीआइ) के दायरे में आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सीजेआइ का ऑफिस भी पब्लिक अथॉरिटी है।
कोर्ट ने कहा कि सभी जज आरटीआइ के दायरे में आएंगे। इस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय पारदर्शिता कानून, सूचना का अधिकार अधिनियम के दायरे में सार्वजनिक प्राधिकरण है। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि पारदर्शिता न्यायिक स्वतंत्रता को कमजोर नहीं करती है।
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सीजेआइ रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह फैसला दिया है। पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना हैं। इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला दिया था कि मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में आता है।
मालूम हो कि पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने हाईकोर्ट और केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) के आदेशों के खिलाफ 2010 में शीर्ष अदालत के महासचिव और केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी द्वारा दायर अपीलों पर गत चार अप्रैल को निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
सीजेआइ के नेतृत्व वाली पीठ ने सुनवाई पूरी करते हुए कहा था कि कोई भी ‘‘अपारदर्शिता की व्यवस्था’’ नहीं चाहता, लेकिन पारदर्शिता के नाम पर न्यायपालिका को नष्ट नहीं किया जा सकता। इसने कहा था, ‘‘कोई भी अंधेरे की स्थिति में नहीं रहना चाहता या किसी को अंधेरे की स्थिति में नहीं रखना चाहता। आप पारदर्शिता के नाम पर संस्था को नष्ट नहीं कर सकते।’