बिगड़े रहें उत्‍तर प्रदेश के हालात, लेकिन योगी सरकार को अपने खिलाफ कुछ भी सुनना नहीं है बरदाश्‍त: अखिलेश

अखिलेश यादव

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को कोरोना संक्रमण से लड़ाई, मजदूरों की समस्‍या व कानून-व्‍यवस्‍था के मुद्दे को लेकर भाजपा सरकार पर हमला बोला है। अखिलेश ने कई संगीन आरोप लगाते हुए कहा है कि उत्‍तर प्रदेश के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। कोरोना का संक्रमण अब नए जिलों में होने की सूचनाएं हैं। विभिन्न प्रदेशों में फंसे राज्य के श्रमिकों को वापस घर पहुंचाने का कार्यक्रम शिथिल हो चला है। जगह-जगह हजारों की भीड़ में महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग सभी पैदल या साइकिल से निकल पड़े हैं। उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है।

सपा अध्‍यक्ष ने आगे कहा कि इन सबके बावजूद समस्‍या यह भी किया योगी सरकार को अपने खिलाफ कुछ भी सुनना बर्दाश्त नहीं है, लोकतंत्र में सवाल उठाने वालों पर ही सवाल उठाने का मतलब होता है कि सरकार बचने के लिए पलटवार कर रही है। पर वह अपना दोहरा चेहरा कब तक छुपाएगी। बड़े घरानों के लिए भाजपा बहुत सहृदय है, जबकि अपने राज्य कर्मचारियों के वेतन भत्ता में भी वह निर्ममता से कटौती कर रही है। श्रमिकों का कोई पुरसाहाल नहीं है, यह अनैतिक एवं संवेदनहीनता है।

मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार ठोको नीति के रास्ते पर चल रही पुलिस 

यूपी में रोजगार के बारे में आज सपा सुप्रीमो ने कहा कि उत्‍तर प्रदेश में निवेश तब आएगा जब कानून-व्यवस्था ठीक हो, लेकिन यहां अपराधी बेखौफ हैं और पुलिस मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार ठोको नीति के रास्ते पर चल रही है। अखिलेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के भेलूपुर कोतवाली पुलिस का उदाहरण देते हुए कहा कि अस्सी पुलिस चौकी में जमी पुलिसवालों की महफिल-ए-शराब में अपनी फरियाद से खलल डालना अधिवक्‍ता पंकज बाजपेयी को महंगा पड़ गया। पुलिसवालों ने हवालात में उनकी जमकर पिटाई कर दी। वे कहने गए थे कि कुछ मजदूर भूखे प्यासे आए हैं, उनकी व्यवस्था कर दें। संतकबीर नगर में बीमार पति को ऑटो से घर ले जा रही पत्‍नी से पुलिसवालों ने पांच सौ रूपए की वसूली कर ली। ऐसे कितने ही कांड रोज हो रहे हैं।

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इससे बढ़ेगा श्रमिकों का शोषण 

यूपी के पूर्व मुख्‍यमंत्री ने आरोप लगाते हुए आज मीडिया से यह भी कहा कि मजदूर विरोधी भाजपा सरकार श्रमिक कानूनों को तीन साल के लिए स्थगित करते समय तर्क दे रही है कि इससे निवेश आकर्षित होगा, जबकि इससे श्रमिक शोषण बढ़ेगा तथा साथ में श्रमिक असंतोष औद्योगिक वातावरण को अशांति की ओर ले जाएगा। सच तो यह है कि ‘औद्योगिक शांति‘ निवेश की सबसे आकर्षक शर्त होती है।

मालिक के लिए श्रमिक को करनी होगी चार घंटे बेगारी 

अखिलेश ने तर्क देते हुए कहा कि योगी सरकार की श्रमनीति से मालिकों को मनमानी करने और श्रमिकों का शोषण करने की खुली छूट मिलेगी। नई श्रम नीति के कानूनों का पालन कराने के लिए कोई भी श्रम अधिकारी उद्योगों के दरवाजे तीन साल तक नहीं जाएगा। मालिक के कारखाने में श्रमिक को अब 12 घंटे काम करना होगा, जबकि उसके आठ घंटे के हिसाब से मजदूरी मिलेगी। मालिक के लिए श्रमिक को चार घंटे बेगारी करनी होगी, यानी अब मालिक को कानून से हर छूट और श्रमिक के शोषण करने की भी गारंटी रहेगी। दुनियाभर में श्रमिकों ने आठ घंटे काम की जो गारंटी अपने आंदोलनों से प्राप्त की थी उस पर भाजपा काली स्याही पोत देगी। मई दिवस की उपलब्धियों पर इतना क्रूर और घातक प्रहार तो तानाशाहों के देश में भी नहीं हुआ।

जिन उद्योगपतियों से तब करार हुए थे वही…

अखिलेश ने इन्‍वेस्‍टर समिटि व अन्‍य सरकारी आयो‍जनों की बात करते हुए कहा कि नयी श्रम नीति बनाकर पूंजीपतियों को खुश करने के क्रम में राज्य में निवेश आने का सपना तो भाजपा सत्ता में आने के पहले दिन से ही दिखाने लगी थी। कई शीर्ष निवेशक सम्मेलन हो गए। खूब धूम-धड़ाका हुआ, लेकिन एक नए पैसे का निवेश नहीं आया। समाजवादी सरकार में जो उद्योग आए थे वही आज तक चल रहे हैं। जिन उद्योगपतियों से तब करार हुए थे वही जमीन पर लागू दिखाई दिए।

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