आरयू वेब टीम। तमाम अटकलों और बयानबाजियों के बीच सोमवार शाम कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक समाप्त हो गयी है। बैठक में फैसला लिया गया है कि सोनिया गांधी फिलहाल पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी।
बैठक के दौरान पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि वो अब आगे पार्टी अध्यक्ष नहीं बने रहना चाहती हैं, लेकिन कई नेताओं ने उन्हें पद पर बने रहने की अपील की थी। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा सोनिया को लिखे पत्र को लेकर भी काफी गहमागहमी हुई।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी सदस्य केएच मुनियप्पा ने कहा कि मैडम (सोनिया गांधी) जारी रखेंगी। चुनाव जल्द से जल्द होगा जो कार्यसमिति का सर्वसम्मत निर्णय है।
वहीं कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य पी.एल. पुनिया ने मीडिया को बताया कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की आज लंबी बैठक हुई। सभी ने सोनिया गांधी जी और राहुल गांधी जी में संपूर्ण आस्था व्यक्त की और सोनिया गांधी जी को कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष बने रहने का अनुरोध किया। जो उन्होंने स्वीकार किया।
उन्होंने कहा कि अगला कांग्रेस अधिवेशन जल्द से जल्द बुलाया जाएगा। छह महीने के अंदर भी हो सकता है। तब तक सोनिया गांधी जी अंतरिम अध्यक्ष के रूप में काम करती रहेंगी, उन्होंने अपनी सहमति दी है।
सीडब्ल्यूसी ने मनमोहन सिंह के पूर्ण कार्यकाल के अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए एआईसीसी सत्र बुलाने की सलाह को स्वीकार किया। इसमें कहा गया कि सोनिया की सहायता के लिए समिति का गठन किया जाना चाहिए।
वहीं सोनिया गांधी ने अपनी समापन टिप्पणी में सीडब्ल्यूसी से कहा कि पार्टी को भाजपा के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुट होने की जरूरत है। वह किसी के खिलाफ कोई बीमार भावना नहीं रखती है।
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बता दें कि कांग्रेस के शीर्ष 23 नेताओं की ओर से पूर्णकालिक नेतृत्व की मांग करते हुए लिखे गए पत्र के एक दिन बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत अन्य नेताओं ने इस चिट्ठी का विरोध किया है। पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में शामिल गुलाम नबी आजाद ने अपनी सफाई में कहा, “उन्हें सोनिया गांधी और राहुल गांधी से कोई दिक्कत नहीं है, उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की वजह से नहीं, बल्कि अन्य नेताओं की ओर से लगाए गए आरोपों की वजह से इस्तीफा देने की पेशकश की है। अनुशासनात्मक कार्रवाई के आह्वान पर, पत्र लिखने वाले “असंतुष्ट” नेताओं ने कहा कि वे “सजा का सामना करने के लिए तैयार हैं” और कांग्रेस के प्रति वफादार बने रहेंगे।
वहीं आज कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक शुरू होने के बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि वो अब पद पर बनी रहना नहीं चाहती हैं और पार्टी उनकी जगह किसी और नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
सीडब्ल्यूसी की बैठक में मौजूद राहुल गांधी ने चिट्ठी भेजे जाने को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जिस वक्त पत्र भेजा गया उस समय सोनिया गांधी बीमार थीं। उन्होंने पत्र के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि ‘जब कांग्रेस मध्य प्रदेश और राजस्थान के सियासी संकट का सामना कर रही थी, जब अध्यक्ष बीमार थीं, तब ही चिट्ठी क्यों भेजी गई।’
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हालांकि कांग्रेस ने उन खबरों का खंडन किया है कि जिनमें कहा गया था कि राहुल गांधी ने पत्र लिखने वालों की बीजेपी से साठगांठ की बात कही है। पार्टी ने कहा कि राहुल गांधी ने ‘बीजेपी के साथ मिलीभगत’ जैसा या इससे मिलता-जुलता एक शब्द भी नहीं बोला था।
कांग्रेस की ओर से आई सफाई के बाद वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने अपना ट्वीट वापस ले लिया है। कपिल सिब्बल ने कहा, ‘राहुल गांधी ने निजी तौर पर मुझे बताया है कि उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं कही थी जो बताई जा रही है, इसके बाद मैंने अपना ट्वीट वापस ले लिया है।’
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इससे पहले, कपिल सिब्बल ने सीडब्ल्यूसी की बैठक में राहुल गांधी की कथित टिप्पणी को लेकर नाराजगी जताई थी। सिब्बल ने कहा था कि उन्होंने पिछले 30 वर्षों में बीजेपी के पक्ष में कोई बयान नहीं दिया, इसके बावजूद ‘हम बीजेपी के साथ साठगांठ कर रहे हैं।’ सिब्बल ने बतौर वकील कांग्रेस को सेवा देने का उल्लेख करते हुए ट्वीट किया था, “राहुल गांधी का कहना है कि ‘हम बीजेपी के साथ साठगांठ कर रहे हैं’। राजस्थान उच्च न्यायालय में कांग्रेस पार्टी का पक्ष रखते हुए सफल हुआ। मणिपुर में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने करने के लिए पार्टी का पक्ष रखा।”
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सोनिया गांधी को एआईसीसी की बैठक तक कम से कम पद पर रहना चाहिए।