आरयू वेब टीम। राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को किसानों से आंदोलन को खत्म करने की अपील की थी। जिसमें पीएम ने कहा कि एमएसपी था, है और रहेगा। किसानों से बातचीत के लिए सरकार तैयार है। मोदी की इस अपील पर भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन एमएसपी पर कानून बनना चाहिए। अब किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से कहा है कि वो अगली बातचीत की तारीख तय करें।
मोदी की एमएसपी वाली बातों पर टिकैत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि “एमएसपी दो राज्यों के अलावा न था न है न रहेगा, देश को गुमराह न करे हुक्मरान।” वहीं पीएम मोदी के सदन में दिए गए बयान जिसमें उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से इस देश में “आंदोलनजीवियों” की एक नई जमात पैदा हुई है, जो बिना आंदोलन के नहीं जी सकती है।
आंदोलनजीवी होने पर गर्वण, …इसलिए वे अभी भी आंदोलनों से डरते हैं
इस पर संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा प्रधानमंत्री द्वारा किसानों के किए गए अपमान की निंदा करता है। किसान प्रधानमंत्री को याद दिलाना चाहेंगे कि वे आन्दोलनजीवी ही थे, जिन्होंने भारत को औपनिवेशिक शासकों से मुक्त करवाया था और इसीलिए हमें आंदोलनजीवी होने पर गर्व भी है। यह भाजपा और उसके पूर्वज ही है जिन्होंने कभी भी अंग्रेजों के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं किया। वे हमेशा जन आंदोलनों के खिलाफ थे, इसलिए वे अभी भी जन आंदोलनों से डरते हैं।
बता दें कि किसान नेताओं ने सरकार के साथ 10वें दौर की वार्ता के बाद जानकारी देते हुए कहा था, “सरकार ने कहा है कि हम कोर्ट में एफिडेविट देकर कानून को एक से डेढ़ साल तक होल्ड पर रख सकते हैं। कमेटी बनाकर चर्चा करके, कमेटी जो रिपोर्ट देगी, हम उसको लागू करेंगे।”