आरयू ब्यूरो, लखनऊ। भ्रष्टाचार व अनियमित्तओं के खिलाफ आवाज उठाने वाले चर्चित आइपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है। गृह मंत्रालय की स्क्रीनिंग में अमिताभ ठाकुर सहित तीन आइपीएस अफसरों को सरकारी सेवा के लिए अनुपयुक्त पाया है। अमिताभ (आइजी रूल्स एवं मैनुअल) पर तमाम मामलों में जांच लंबित हैं।
वहीं राजेश कृष्ण (सेनानायक, 10वीं बटालियन, बाराबंकी) पर आजमगढ़ में पुलिस भर्ती में घोटाले का आरोप रहा है। इनके अलावा राकेश शंकर (डीआईजी स्थापना) पर देवरिया शेल्टर होम प्रकरण में संदिग्ध भूमिका का आरोप था। तीनों आइपीएस पर गंभीर अनियमित्ता के भी आरोप थे।
इस संबंध में”अमिताभ ठाकुर ने सोशल मीडिया के माध्यम से ट्वीट कर कहा कि मुझे अभी-अभी वीआरएस (लोकहित में सेवानिवृति) आदेश प्राप्त हुआ। सरकार को अब मेरी सेवाएं नहीं चाहिये। जय हिन्द। एक अन्य ट्वीट में एक पोस्ट शेयर कर कह कि लोकहित में सेवा में बनाये रखे जाने के उपयुक्त न पाते हुए लोकहित में तात्कालिक प्रभाव से सेवा पूर्ण होने से पूर्व सेवानिवृत किये जाने का निर्णय लिया गया है। साथ ही अमिताभ ठाकुर ने कहा कि आज सेवानिवृति के बाद अपना पदभार छोड़ दिया। साथ ही सरकारी गाड़ी व ड्राईवर भी वापस कर दिया है।
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गौरतलब है कि इस संबंध में 17 मार्च 2021 का भारत सरकार के गृह मंत्रालय की तरफ से आदेश जारी हुआ कि अमिताभ ठाकुर लोकहित में सेवा में बनाए रखे जाने के उपयुक्त नहीं हैं। इस आदेश के क्रम में अब प्रदेश के गृह विभाग की तरफ से उन्हें वीआरएस देने या कहें ‘जबरन रिटायर’ करने का आदेश जारी हो गया है।
बता दें कि आइपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर सेवा में रहते हुए लगातार सरकार की नितियों पर सवाल उठाते रहे हैं। इससे पहले भी आमिताभ ठाकुर ने सपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था, यहां तक आइपीएस अफसर मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरने तक पर बैठ गए थे।