आरयू वेब टीम।
राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन को लेकर एनडीए के खिलाफ बने बिहार के सत्ताधारी महागठबंधन में आई दरार अब खाई का रूप लेती नजर आ रही है। रविवार को राजद की ओर से एक ऐसा बयान आया है जिससे ‘जदयू’ और ‘राजद’ के बीच दूरियां बनना तय माना जा रहा है।
पहले ही राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए को समर्थन देने वाली पार्टी ने अब पटना में 27 अगस्त को ‘भाजपा विरोधी महारैली’ में हिस्सा नहीं लेने का ऐलान कर महागठबंधन की नींव हिला दी है। नीतीश की पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने आज मीडिया को बताया कि राजद की ओर से आयोजित रैली में जदयू हिस्सा नहीं लेगी।
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श्याम ने कहा कि ‘भाजपा हटाओ देश बचाओं रैली’ महागठबंधन की नहीं है बल्कि राजद की है। इसमें उन्हें बुलाया नहीं गया है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि इस रैली में हिस्सा नहीं लेने से महागठबंधन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
बताते चले कि लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद ने ‘भाजपा हटाओ-देश बचाओ’ नारे के साथ 27 अगस्त को रैली बुलाई है। बन रहे राजनीतिक समीकरण के अनुसार लालू की इस रैली में खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला समेत देश भर के तमाम दिग्गज नेताओं के जुटने की पूरी उम्मीद है।
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समझा यह भी जा रहा है कि इसी मंच से 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की रूप रेखा भी खीची जाएगी। इन परिस्थितियों में जदयू का महारैली में हिस्सा नहीं लेने का फैसला कई तरह के सवाल उठा रहा है। जानकार कहते है 2019 के चुनाव में नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़े नजर आ सकते है।
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