अब बजरंग पूनिया ने लौटाया पद्मश्री, PM आवास के सामने फुटपाथ पर छोड़ा, नरेंद्र मोदी को लेटर लिख बताई वजह

आरयू वेब टीम। भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में कार्रवाई नहीं होने और उनके करीबी संजय सिंह के कुश्ती महासंघ का अध्यक्ष बनने के विरोध में टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता पहलवान बजरंग पुनिया ने शुक्रवार को अपना पद्मश्री पुरस्कार सरकार को वापस लौटा दिया।

बजरंग पुनिया ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर अपना विरोध जताते हुए पद्मश्री पुरस्कार वापस लौटाने की घोषणा की। इसके बाद वो पुरस्कार लौटाने पीएम के आवास पर गए, लेकिन जब पुलिस ने उन्हें आगे नहीं जाने दिया तो उन्होंने वहीं पीएम आवास के सामने फुटपाथ पर अपना पद्मश्री रख दिया।

एक दिन पहले इन्हीं मुद्दों पर पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास लेने का ऐलान किया था। बृजभूषण सिंह के करीबी संजय सिंह के भारतीय कुश्ती महासंघ का अध्यक्ष चुने जाने के विरोध में नम आंखों से साक्षी मलिक द्वारा कुश्ती छोड़ने की घोषणा के एक दिन बाद बजरंग ने पीएम मोदी को पत्र लिखा, जिसमें डब्ल्यूएफआई चुनावों को लेकर अपनी निराशा व्यक्त की। प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र में पुनिया ने प्रतिष्ठित पुरस्कार लौटाने के अपने फैसले की वजह नरेंद्र मोदी को बताई है।

बजरंग पुनिया ने लेटर में कहा कि, “सरकार और लोगों ने बहुत सम्मान दिया। क्या मैं इसी इज्जत के बोझ तले घुटता रहूं? साल 2019 में मुझे पद्मश्री से सम्मानित किया गया। खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। जब मुझे यह सम्मान मिला तो मुझे बहुत खुशी हुई। ऐसा लगा कि जीवन सफल हो गया, लेकिन आज मैं उससे भी ज्यादा दुखी हूं और ये सम्मान मुझे दुख पहुंचा रहे हैं।’

बजरंग पुनिया ने पत्र में आगे कहा, “जिस कुश्ती के लिए हमें यह सम्मान मिलता है, उसका एक ही कारण है कि हमारी साथी महिला पहलवानों को अपनी सुरक्षा के लिए कुश्ती छोड़नी पड़ती है। हम “सम्मानित” पहलवान कुछ नहीं कर सके। महिला पहलवानों का अपमान करने के बाद मैं अपना जीवन “सम्मानजनक” बनकर नहीं जी पाऊंगा। ऐसी जिंदगी मुझे जिंदगी भर सताती रहेगी। इसलिए मैं यह “सम्मान” आपको लौटा रहा हूं।”

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गुरुवार को 2016 रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने संजय सिंह के डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष चुने जाने के बाद कुश्ती छोड़ने की घोषणा की थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले साक्षी ने अपने जूते उतारकर मंच पर रख दिए और रोते हुए कहा, “मैं निराश हूं और अब कुश्ती में प्रतिस्पर्धा नहीं करूंगी।”

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