आरयू ब्यूरो, लखनऊ। रविवार को समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्या के बाद उत्तर प्रदेश में पांच बार सांसद रहे सलीम इकबाल शेरवानी ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। सपा नेताओं व समर्थकों के साथ एक बैठक के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी ने आज पद छोड़ने का ऐलान करते हुए सपा में मुसलमानों की उपेक्षा किए जाने समेत पार्टी सुप्रीमो पर गंभीर आरोप लगा पूछा है कि अखिलेश यादव भाजपा से अलग कैसे हैं।
सपा से मुसलमानों की दूरी लगातार बढ़ रही
वहीं अपने इस्तीफे को लेकर सपा अध्यक्ष को लिखे लेटर में सलीम इकबाल ने अखिलेश यादव से कहा कि मैं पिछले कुछ समय से आपसे लगातार मुसलमानों की स्थिति पर चर्चा करता रहा हूं और मैंने हमेशा आपको यह बताने का प्रयास किया है कि मुसलमान उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और पार्टी के प्रति अपना विश्वास लगातार खो रहे हैं। पार्टी के साथ मुसलमानों की दूरी लगातार बढ़ रही और वो एक सच्चे ‘रहनुमा’ की तलाश में हैं।
मैंने आपको यह भी बताने का प्रयास किया कि पार्टी को उनके समर्थन को कम करके नहीं आंकना चाहिए। मुसलमानों में यह भावना बढ़ती जा रही है कि धर्मनिरपेक्ष मोर्चे में कोई भी उनके जायज मुद्दे को उठाने के लिए तैयार नहीं है।
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अखिलेश यादव पर पीडीए को महत्व नहीं दिए जाने का आरोप लगाते हुए सलीम ने आगे कहा कि पार्टी की परंपरा के अनुसार मैंने आपसे बार-बार मुस्लिम समाज के लिए एक राज्यसभा सीट के लिए अनुरोध किया था (भले ही आप मेरे नाम पर विचार नहीं करते) लेकिन पार्टी द्वारा घोषित उम्मीदवारों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं था। आपके द्वारा जिस तरह से राज्य सभा के टिकट का वितरण किया गया है उससे यह प्रदर्शित होता है कि आप खुद ही पीडीए को कोई महत्व नहीं देते हैं। जिस कारण यह प्रश्न उठता है कि आप भाजपा से अलग कैसे हैं?
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एक मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाने का प्रयास बेमानी साबित हो रहा है और कोई भी इसके बारे में गंभीर नहीं दिखता है। ऐसा लगता है कि विपक्ष सत्ता पक्ष की गलत नीतियों से लड़ने की तुलना में एक-दूसरे से लड़ने में अधिक रुचि रखता है। धर्मनिरपेक्षता दिखावटी बन गई है। भारत में खासकर उत्तर प्रदेश में मुसलमानों ने कभी भी समानता, गरिमा और सुरक्षा के साथ जीवन जीने के अपने अधिकार के अलावा कुछ नहीं मांगा, लेकिन पार्टी को यह मांग भी बहुत बड़ी लगती है। पार्टी के पास हमारी इस मांग का कोई जवाब नहीं है। इसलिए, मुझे लगता है कि मैं सपा में अपनी वर्तमान स्थिति के साथ अपने समुदाय की स्थिति में कोई बदलाव नहीं ला सकता। इस परिस्थिति में मैं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में अपना इस्तीफा दे रहा हूं। मैं अगले कुछ हफ्तों के भीतर अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में निर्णय लूंगा।
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समर्थक भी कहेंगे सपा को अलविदा
दरअसल शेरवानी ने दिल्ली के इस्लामी कल्चर सेंटर में अपने समर्थकों और करीबियों संग बैठक की। इसके बाद उन्होंने पार्टी के पद से इस्तीफा देने ऐलान किया। बताया जा रहा है कि मीटिंग में मौजूद प्रदेश सचिव राकेश राजपूत, साजिद खान, योगेन्द्र पाल सिंह तोमर और पूर्व मंत्री आबिद रजा भी जल्द ही पार्टी के पद से इस्तीफा दे सकते हैं।