भरोसे पर सवाल उठाने से नाराज मायावती का अखिलेश को जवाब, अपने गिरेबान में भी झांककर देखें, भाजपा को बढ़ाने में कितने दागदार

मायावती
फाइल फोटो।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। भाजपा की बी टीम की तरह काम करते हुए उसे मजबूती पहुंचाने के सवाल पर सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव व बसपा सुप्रीमो मायावती के बीच आरोप-प्रत्‍यारोप शुरू हो गए हैं। दोनों ही कद्दवार नेता इशारों में एक-दूसरे को भाजपा का फायदा पहुंचाने वाला साबित करने में लगे हैं।

अखिलेश ने जहां अगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ बनें गठबंधन (इंडिया) में बसपा को शामिल करने को लेकर मायावती की विश्‍वसनीयत पर ही मीडिया के सामने सवाल उठाएं हैं। वहीं बसपा सुप्रीमो ने रविवार को इसपर आपत्ति जताते हुए अखिलेश पर पलटवार करते हुए उन्‍हें दलित विरोध तक कह दिया है। मायावती ने उलटा सपा पर ही बीजेपी के लिए काम करने का आरोप लगाते हुए अखिलेश को पहले अपने गिरेबान में झांकने की नसीहत दी है।

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मायावती ने आज अखिलेश पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया के जरिए कहा कि अपनी (अखिलेश यादव) व अपनी सरकार (पूर्व की सपा सरकार) की खासकर दलित-विरोधी रही आदतों, नीतियों व कार्यशैली से मजबूर सपा प्रमुख द्वारा बीएसपी पर अनर्गल तंज कसने से पहले उन्हें अपने गिरेबान में भी झांककर जरूर देख लेना चाहिए कि उनका दामन भाजपा को बढ़ाने व उनसे मेलजोल के मामले में कितना दागदार है।

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इतना ही नहीं मायावती ने दिवंगत मुलायम सिंह यादव के पांच साल पहले दिए गए उस बयान की ओर भी इशारा करते हुए आज अखिलेश को घेरा है, जिसमें मुलायम सिंह ने कहा था कि वह चाहते हैं, नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनें। आज बसपा सुप्रीमो ने कहा कि तत्कालीन सपा प्रमुख द्वारा भाजपा को संसदीय चुनाव जीतने से पहले व उपरान्त आर्शीवाद दिए जाने को कौन भुला सकता है और फिर भाजपा सरकार बनने पर उनके नेतृत्व से सपा नेतृत्व का मिलना-जुलना जनता कैसे भूला सकती है। ऐसे में सपा साम्प्रदायिक ताकतों से लडे़ तो यह उचित होगा।

चुनाव बाद की आप लोगो जिम्‍मेदारी?

बताते चलें कि हाल ही में मीडिया ने लोकसभा चुनाव को लेकर सपा सुप्रीमो से पूछा था कि मायावती के जुड़ने से क्‍या गठबंधन (इंडिया) को फायदा होगा या नहीं। जिसपर अखिलेश ने हंसते हुए पत्रकारों को जवाब दिया था कि चुनाव के बाद का भरोसा आप लोगो या फिर आपमें से कौन भरोसा दिलाएगा। अखिलेश के इस जवाब से अंदाजा लगाया जा रहा कि वह बसपा को लोकसभा चुनाव के लिए बनें विपक्षी दलों के गठबंधन में शामिल करने के पक्ष में नहीं है।

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अखिलेश ने दो दिन पहले यह भी इशारा करते हुए कहा दिया था कि मायावती इंडिया गठबंधन के साथ चुनाव लड़ भी लेंगी तो सरकार बनाते समय भी वह गठबंधन से बगावत कर भाजपा के खेमे के साथ जाकर उसकी सरकार बनाने में मदद कर देंगी।

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