भारत ने कश्मीर में मानवाधिकार पर UN एजेंसी की आलोचना को किया खारिज, आरोपों को बताया बेबुनियाद

एलओसी पर घुसपैठ
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम। भारत ने गुरुवार को मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज की गिरफ्तारी और कश्मीर में हालिया हत्याओं की संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि ये बयान “कानून प्रवर्तन अधिकारियों और भारत के सुरक्षाबलों के खिलाफ निराधार और बेबुनियाद आरोप है।”

साथ ही भारत ने कहा कि यह सीमा पार आतंकवाद के कारण क्षेत्र में उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों के बारे में आपकी कम समझ को दर्शाता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत में अधिकारी कानून के उल्लंघन के खिलाफ काम करते हैं न कि अधिकारों के वैध प्रयोग के खिलाफ।

बागची ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश के रूप में अपने नागरिकों के मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने की प्रतिबद्धता के साथ, भारत सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाता है।

वहीं ये भी कहा कि भारत की संप्रभुता की रक्षा और अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संसद द्वारा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून बनाए गए थे।

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बाता दें कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय ने बुधवार को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत परवेज की गिरफ्तारी पर गहरी चिंता व्यक्त की थी, और यह भी कहा था कि वह ‘इस साल कश्मीर में सशस्त्र समूहों द्वारा धार्मिक अल्पसंख्यकों के सदस्यों सहित आम नागरिक हत्याओं में हो रही वृद्धि से चिंतित है।’

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