भारी हंगामे के बीच लोकसभा में चुनाव सुधार बिल पास, विपक्ष ने विरोध कर इसे बताया प्राइवेसी के मूल अधिकारों का उल्लंघन

चुनाव सुधार बिल

आरयू वेब टीम। आज विपक्ष के भारी हंगामे के बीच लोकसभा में चुनाव सुधार बिल पेश कर दिया गया है। इससे पहले कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एआइएमआइएम, आरएसपी, बसपा जैसे दलों ने इस विधेयक को पेश किये जाने का विरोध किया। कांग्रेस ने विधेयक को विचार के लिये संसद की स्थायी समिति को भेजने की मांग की, तो एआइएमआइए के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने आधार को वोटर आईडी से जोड़ने की सरकार की योजना का विरोध करते हुए इस संबंध में लोकसभा में नोटिस दिया था। ओवैसी ने इसे प्राइवेसी के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन बताया।

विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह पुत्तुस्वामी बनाम भारत सरकार मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हमारे यहां डाटा सुरक्षा कानून नहीं है और अतीत में डाटा के दुपयोग किये जाने के मामले भी सामने आए हैं।’’

चौधरी ने कहा कि ऐसे में इस विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए और इसे विचारार्थ संसद की स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए। कांग्रेस के ही मनीष तीवारी ने कहा कि इस प्रकार का विधेयक लाना सरकारी की विधायी क्षमता से परे है। इसके अलावा आधार कानून में भी कहा गया है कि इस प्रकार से आधार को नहीं जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि वह इसका विरोध करते हैं और इसे वापस लिया जाना चाहिए।

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वहीं ओवैसी ने लोकसभा सचिवालय को भेजे अपने नोटिस में कहा है कि यह सदन व्यक्ति के मूलभूत अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। इस बिल में आधार को आवश्यक कर दिया गया, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे केवल कल्याणकारी योजनाओं तक सीमित रखा है। ओवैसी ने अपने नोटिस में पुट्टास्वामी वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया के केस का भी हवाला दिया। उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि किसी व्यक्ति की सुरक्षा और प्राइवेसी को इस प्रक्रिया से नुकसान पहुंच सकता है।

बता दें कि केंद्रीय कैबिनेट ने चुनाव संबंधित विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक में आधार को वोटर आईडी से लिंक करने की योजना है। सूत्रों के मुताबिक आधार कार्ड को वोटर आईडी से जोड़ने का फैसला स्वैच्छिक होगा। सरकार ने चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर ही यह फैसला किया है। आयोग का मत है कि आधार को वोटर आईडी से जोड़ने से चुनावों में धांधली रोकी जा सकेगी।

चुनाव आयोग की मांग है कि नए वोटर आईडी के अप्लाई करने वाले व्यक्ति के लिए आधार की जानकारी अनिवार्य कर देना चाहिए। आयोग का मत है कि आधार और वोटर आईडी एक दूसरे से लिंक होने पर काफी परेशानियां अपने आप खत्म हो जाएंगी। सबसे बड़ी समस्या यह है कि वर्तमान वोटर लिस्ट में कई नाम बार-बार आ जाते हैं।

प्रस्तावित बिल देश के युवाओं को हर साल चार अलग-अलग तारीखों पर खुद को वोटर के तौर पर रजिस्टर करने की इजाजत भी देगा। यानी वोटर बनने के लिए अब साल में चार तारीखों को कटऑफ माना जाएगा। अब तक हर साल पहली जनवरी या उससे पहले 18 साल के होने वाले युवाओं को ही वोटर के तौर पर रजिस्टर किए जाने की इजाजत है।

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