बोलीं मायावती चहेतों को खुश करने के लिए बीजेपी कर रही कल्याण मित्रों की नियुक्ति

गोरखपुर में दलित हत्या
बसपा सुप्रीमो मायावती। (फाइल फोटो)

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती ने योगी सरकार द्वारा हाल ही में सरकारी योजनाओं व कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार व फीडबैक के लिए नियुक्ति करने में सरकारी धन का दुरुपयोग करने आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सरकारी विभागों में हजारों पद खाली पड़े हैं। उन्हें भरने के बजाय यूपी सरकार लोक कल्याण मित्रों की नियुक्ति कर अपनी चहेती आरएसएस एण्ड कंपनी को खुश कर रही है।

शनिवार को मायावती ने प्रदेश मंत्रिमण्‍डल द्वारा हाल ही में लिए गए फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हर ब्लाक में एक ‘लोक कल्याण मित्र’ को 25 हजार रुपये व 5000 हजार रुपये प्रतिमाह यात्रा भत्ता के आधार पर नियुक्ति वास्तव में जनहित के साथ मजाक ही माना जाएगा तथा केवल कुछ अपने-चहेतों को वख्‍ती तौर पर तुष्टिकरण करने का उपाय मात्र। इससे जनहित व विकास का कुछ भी भला होने वाला नहीं, बल्कि जनता की गाढ़ी कमायी की बरबादी होगी।

मीडिया पर खरबों खर्च कर भी इनकी योजनाओं की नहीं लोगों को जानकारी

पूर्व मुख्‍यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया यह सरकार की विफलता है कि सरकारी खजाने का अरबों-खरबों रूपया प्रिंट इलेक्ट्रानिक व डिजिटल मीडिया पर खर्च करने के बावजूद इनकी योजनाओं की लोगों को जानकारी नहीं है।  जरुरतमंद लोगों को इसका लाभ भी नहीं मिल पा रहे हैं।

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इस मामले में विपक्षी पार्टियों का द्वारा लगाया गया आरोप सही साबित हो रहा है कि बीजेपी की केन्द्र व राज्य में सरकार होने के बावजूद उत्तर प्रदेश भी लगातार पिछड़ता चला जा रहा है। बसपा प्रमुख ने यह भी कहा कि अपराध-नियंत्रण व कानून-व्यवस्था तथा इसके साथ ही महिला सुरक्षा व सम्मान के मामले में तो यह सरकार फिसड्डी है ही, जो कि हर स्तर पर प्रमाणित है।

आम जनता बीजेपी को नहीं चाहती सुनना

मायावती ने आगे कहा कि लोक कल्याण मित्रों की नियुक्ति का फैसला यह भी साबित करता है कि प्रदेश व देश की मेहनतकश आम जनता अब बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को सुनना पसंद नहीं कर रही है और ना ही उनकी बातों पर भरोसा कर रही है। जिस कारण ही ये नयी डेलीवेज व्यवस्था बीजपी सरकार द्वारा शुरू की गई है। यह बीजेपी की फिजूलखर्ची का नया नमूना है, जबकि सरकारी स्तर पर खाली पड़े हजारों पदों को भरकर युवको को रोजगार देने की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है।

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