आरयू वेब टीम। मैं रक्षा क्षेत्र को एक स्थिर झील की तरह नहीं, बल्कि एक बहती नदी की भांति देखता हूं। जिस प्रकार एक नदी अपने सामने आई तमाम बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ती रहती है, वैसे ही हमें अपने सामने आई चुनौतियों से पार पाते हुए लगातार आगे बढ़ते रहना होगा। हमें बदलते परिवेश के साथ-साथ तकनीकी उन्नति की तरफ भी तेजी से बढ़ना है।
उक्त बातें सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पुणे दौरे पर डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस टेक्नोलॉजी के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर कही। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज दुनिया में जल, थल और वायु के साथ-साथ साइबर और अंतरिक्ष से जुड़े खतरे सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि संपर्क रहित युद्ध जैसे अवधारणाओं ने रक्षा क्षेत्र में उन्नत प्रौद्योगिकी की आवश्यकता को पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण बना दिया है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में हमने देखा है कि पूरी दुनिया में जितनी तेजी से बदलाव हो रहे हैं, उससे कहीं अधिक तेजी से युद्ध के तौर-तरीके बदल रहे हैं। राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि पारंपरिक युद्ध के खतरे तो हमारे सामने हैं ही, साथ ही उनसे आगे बढ़ते हुए अब बिलकुल नए प्रकार के खतरे हमारे सामने मंडराने लगे हैं।
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उन्होंने कहा कि हमने अब डीपीएसयू के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 928 घटकों की चौथी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची जारी की है, जिससे घटकों की कुल संख्या 4,666 हो गई है। इन घटकों को अब स्थानीय रूप से प्राप्त किया जाएगा।
रक्षा मंत्री ने कहा कि अपनी स्थापना के समय से ही डीआइएटी ने देश की उम्मीदों पर खरा उतरने का पूरा प्रयास किया है। हां, इस संबंध में और तेजी लाने की आवश्यकता है, क्योंकि हमारे आसपास की दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। हमें भी उसी अनुसार बदलना होगा।
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उन्होंने कहा कि प्लास्टिक सर्जरी भी रक्षा क्षेत्र से गहराई से जुड़ा हुआ हैI अक्सर हम देखते हैं कि युद्ध के दौरान कई बार सैनिकों को ज्यादा चोट लग जाती है, उनके शरीर के विभिन्न अंग दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से डैमेज हो जाते हैंI इसके लिए प्लास्टिक सर्जरी किसी वरदान से कम नहीं है।