आरयू स्पेशल,
लखनऊ। नित नई कारस्तानी को लेकर चर्चा में रहने वाले लखनऊ विकास प्राधिकरण के इंजीनियरों का एक अनोखा कारनामा सामने आया है। गोमतीनगर के विपिन खण्ड स्थित एलडीए की नई बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर इंजीनियरों ने लेडीज वॉशरूम के बाहर ही सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए हैं। बोलचाल की भाषा में तीसरी आंख कहे जाने वाले इन कैमरों को बेतुकी जगह पर इंजीनियरों के लगवाने का मकसद तो ईमानदारी से जांच होने के बाद ही साफ हो पाएगा। लेकिन मामला उछलने के बाद अब अभियंता एक दूसरे के पाले में इसकी जिम्मेदारी डाल रहे हैं।
सर्वर रूम में मिला संदिग्ध युवक, पूछताछ पर ताला बंदकर भागा
लेडीज वॉशरूम के दरवाजे के बाहर और उसकी सीध में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों को देख जब ‘राजधानी अपडेट’ ने इसकी जांच की तो मामला कुछ ज्यादा ही संगीन होता नजर आया। कैमरों को ऑपरेट करने के लिए सातवें फ्लोर पर बने सर्वर रूम में शनिवार की दोपहर एक युवक कुर्सी पर आराम से पैर पसारकर गुटखा चबाता दिखाई दिया। सिर्फ पहचान पूछने से घबड़ाया युवक सर्वर रूम को ताला बंदकर भाग निकला।
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दावा युवक को नहीं पहचानता कोई
इस पूरे मामले में चौंकाने वाली बात यह भी है कि संदिग्ध युवक को हर कोई न पहचानने का दावा कर रहा है। सर्वर रूम के ठीक सामने बैठने वाले एक्जिक्यूटिव सिस्टम प्रभारी एसबी भटनागर के साथ ही विधुत यांत्रिक के चीफ इंजीनियर डीपी सिंह ने तो युवक की फोटो देखने के बाद भी उसे पहचानने से इंकार कर दिया। वहीं सर्वर रूम के बाहर मौजूद एलडीए के अन्य कर्मचारियों ने बताया कि युवक के पास सर्वर रूम की चाभी रहती है और वह अकसर यहां आता-जाता रहता है। अंदर क्या करता है किसी को नहीं मालूम।
किसने दी बाहरी को बेहद महत्वपूर्ण कमरे की चाभी
बता दें कि सर्वर रूम से सीसीटीवी कैमरों के साथ ही एलडीए की कम्प्यूटर नेटवर्किंग और फोन सिस्टम को भी ऑपेरट करने का इंतजाम है। इससे साफ हो जाता है कि सर्वर रूम में बैठकर न सिर्फ पूरी बिल्डिंग पर नजर रखी जा सकती है, बल्कि कम्यूटर व दूसरे सिस्टम में छेड़छाड़ कर किसी बड़ी घटना को अंजाम भी दिया जा सकता है। इन सबके बावजूद अंजान युवक को सर्वर रूम की चाभी किसने और किस मकसद से दी इसकी गहराई से जांच कराना जरूरी हो जाता है।
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डेढ़ करोड़ फूंकने के बाद भूल गए इंजीनियर
बताया जा रहा है कि एलडीए की नई बिल्डिंग बनने के बाद 2015 की शुरूआत में ही सीसीटीवी कैमरें लगवाए गए थे। इस दौरान एलडीए के वर्तमान एक्सईएन अवेधश तिवारी, एई वीके ओझा और जेई प्रमोद तिवारी ने सीसीटीवी कैमरों को लगवाने के साथ ही बिल्डिंग के दूसरे काम भी करवाए थे। लगभग नब्बे सीसीटीवी कैमरों के सेट को लगवाने के लिए एलडीए ने करीब डेढ़ करोड़ रुपए भी खर्च कर डाले थे, लेकिन कैमरा लगने के ढाई साल बीत जाने के बाद भी आज तक उसका एनुवल मेंटिनेंस कांट्रैक्ट (एएमसी) नहीं कराया, जिसके चलते कैमरे लावारिस हालत में हैं।
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परिवहन मंत्र ने तो दर्ज कराया था मुकदमा
बता दें कि लगभग ऐसा ही मामला पिछले महीने चारबाग बस अड्डे के निरीक्षण के दौरान राज्य परिवहन मंत्री सत्यदेव सिंह ने भी पकड़ा था। परिवहन मंत्री ने इसे बड़ी गड़बड़ी मानते हुए तत्काल शौचालय संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दिया था। हालांकि एलडीए के मामले में ऐसा हो इसकी उम्मीद कम ही है।
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मामला गंभीर है, सोमवार को जिम्मेदारों से इसके बारे में पूछताछ करने के साथ ही पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। जांच में जो भी दोषी पाए जांएगे उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। एलडीए सचिव, जयाशंकर दूबे
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