आखिर कब तक दागी बाबूओं को बैठाकर जनता की कमाई खिलाएगा एलडीए

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा करने में जहां चर्चित बाबू मुक्‍तेश्‍वरनाथ ओझा जेल की सलाखों के करीब जा पहुंचा है। वहीं दूसरी ओर घोटाला करने के बाद भी कई बाबू महीनों तो कुछ सालों से जनता के मेहनत की कमाई पर ऐश कर रहे हैं।

एलडीए के नाम को दागदार करने वाले फर्जीवाड़े समेत दूसरे आरोपों में लंबे समय पहले निलंबित किए गए करीब एक दर्जन बाबू एलडीए से आज भी अपनी आधी सैलरी ले रहे है। हालांकि इन दागी बाबूओं के निलंबित होने के चलते एलडीए उनसे कोई काम नहीं ले पा रहा है। इन परिस्थितियों के बीच सवाल उठना लाजिमी है कि जिन बाबूओं को सजा मिलनी चाहिए थी, आखिर उनको कब तक जनता की कमाई एलडीए खिलाता रहेगा।

हर हाल में नुकसान

बाबुओं को निलंबित करने के बाद एलडीए अफसरों के जांच या फैसला लटकाने के मामले में हर हाल में नुकसान ही है। बाबू अगर सही है तो मानसिक प्रताड़ना समेत उसकी आधी सैलरी का नुकसान और अगर दोषी है तो बिना काम के आधा वेतन देकर एलडीए अपना नुकसान कर रहा है।

जानें कब कौन हुआ निलंबित

अगस्‍त 2011 में कनिष्‍ठ लिपिक राम किशोर मिश्रा को निलंबित किया गया। छह साल बीतने के बाद भी आज तक न तो राम किशोर को बहाल किया गया और न ही उसपर आगे की कार्रवाई की गई। इस बीच करीब आधा दर्जन वीसी एलडीए आए और चले गए।

अक्‍टूबर-नवंबर 2015 में विनोद कुमार शुक्‍ला, विवेक आनन्‍द और धीरज श्रीवास्‍तव निलंबित हुए। इन पर भी आज तक कोई फाइनल डिसीजन नहीं हो सका।

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वहीं पिछले साल मार्च में प्रकाश चन्‍द्र भट्ट और मदन प्रसाद सिंह को जबकि जुलाई में प्रहलाद निगम को तत्‍कालीन एलडीए वीसी ने निलंबित किया, लेकिन अधिकारी आज तक जांच ही पूरी नहीं कर सके।

अगस्‍त 2016 में विकल्‍प खण्‍ड स्थित एक भूखण्‍ड की फर्जी रजिस्‍ट्री कराए जाने के एक मामले में एलडीए ने अपने कर्मचारी सुरेश विष्‍णु महादाणे, संजीव कुमार वर्मा व अशोक श्रीवास्‍तव को निलंबित कर दिया। लेकिन साल भर बीतने के बाद भी मामला अधर में लटका है।

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इसी वर्ष अप्रैल में तत्‍कालीन वीसी सत्‍येंद्र सिंह यादव ने अपने खास और चर्चित बाबू काशीनाथ राम और समीर मिश्रा को फर्जी समायोजन के एक मामले में दोषी बताते हुए निलंबित कर जांच तत्‍कालीन संयुक्‍त सचिव धनंजय शुक्‍ला को दिया। कई महीना बीतने के बाद भी धनंजय शुक्‍ला जांच पूरी कर वीसी को रिपोर्ट नहीं भेज सके। इस बीच उनका एलडीए से ट्रांसफर हो गया। यह मामला भी आज तक आगे की कार्रवाई का इंतजार कर रहा है।

हो कठोर फैसले तो रूक जाए फर्जीवाड़ा

एलडीए के जानकार बताते है कि लखनऊ के भ्रष्‍ट विभागों की सूची में अपनी खास जगह बना चुके एलडीए के अफसर ही इसके लिए जिम्‍मेदार हैं। सपा सरकार में आए दागी अफसरों ने सिर्फ एलडीए को जमकर लूटा बल्कि तमाम शिकायतों के बाद भी गुर्गें की तरह काम कर रहे मुक्‍तेश्‍वरनाथ ओझा जैसे बाबुओं पर प्रभावी कार्रवाई भी नहीं की। कभी किसी का निलंबन हुआ भी तो उसे वसूली के बाद बहाल कर दिया गया और जो पैसा नहीं दे पाया उसे लटका दिया।

यहीं वजह है कि एक के बाद एक नए-नए घोटालों की इबारत एलडीए में लिखी जाती रही। हालांकि सूबे की सत्‍ता बदलने के बाद एलडीए का चार्ज संभालने वाले वीसी से भ्रष्‍टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाने की उम्‍मीद की जा रही है। लोगों का मानना है कि एलडीए उपाध्‍यक्ष के कड़े कदम उठाते ही एलडीए में फर्जीवाड़ा पूरी तरह से रूक जाएगा।

क्‍या कहते हैं जिम्‍मेदार

निलंबन के मामलों की फाइलों को दोबार देखकर एडिशनल चार्जशीट दी जा रही है। किसी भी दोषी को बख्‍शा नहीं जाएगा और न ही जनता का पैसा बर्बाद होने दिया जाएगा। जांच अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। मैक्सिमम दो महीनों में सारे मामलों में फैसला हो जाएगा।  प्रभु एन सिंह‍, एलडीए उपाध्‍यक्ष

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