आरयू वेब टीम। राजधानी दिल्ली में कोरोना की भयावह स्थिति के बीच ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से ऑक्सीजन प्लांट को लेकर सवाल पूछे तो केंद्र सरकार को भी जमकर घेरा। हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि जिन आठ ऑक्सीजन प्लांट के शुरू होने की बात सरकार ने कही थी, उसका क्या हुआ। इसके अलावा हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से ये साफ करने को है कि आखिर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को उनकी मांग से ज्यादा ऑक्सीजन क्यों मिल रहा है, जबकि दिल्ली जितनी मांग कर रहा है, उससे कम उसे ऑक्सीजन मिल रही है।
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार पर उसके लिए असंवेदनशील रवैया रखने का आरोप लगाया। दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि केंद्र दिल्ली की जनता के लिए पूरी तरह उदासीन और असंवेदनशील है। हमने 700 मेट्रिक टन मांगी थी। अलॉट 490 टन पर हुई, पर वो 490 भी हॉस्पिटल तक नहीं मिल रहा। केंद्र पूरी तरह से दिल्ली और देश के बाकी हिस्सों में नाकामयाब साबित हो रही है, अब बहुत हो चुका है। वो केंद्र सरकार है, सिर्फ इसलिए हम चुप नहीं बैठेंगे। कोर्ट को इस पर आदेश पास करना चाहिए।
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हमें केंद्र से ऑक्सीजन चाहिए, पेपर ऑर्डर नहीं। कोर्ट इस बारे में उपयुक्त आदेश पास करे। सरकार बताए ऑक्सीजन उत्पादन की कितनी सामर्थ्य है, क्योंकि सारे संसाधन तो उसके पास है। कितना ऑक्सीजन किस राज्य को आवंटन हो रहा है। राज्यों ने कितनी मांग की, कितना मिला, मांग के मुताबिक, क्यों नहीं मिला. ऑक्सीजन प्लांट को लेकर दिल्ली सरकार ने बताया कि दो पहले से ऑपरेशनल हैं। 30 मई तक दो और प्लांट हो जाएंगे, बाकी के लिए भी दिल्ली सरकार मंजूरी दे चुकी है।
इस दौरान एमकिस क्युरी चंद्रशेखर राव ने कहा कि इसमें दो राय नहीं कि दिल्ली जितनी ऑक्सीजन की मांग कर रहा है, उसके नजदीक भी नहीं मिल रहा है। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र को मांग से ज्यादा मिल रहा है। ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा केस है। सप्लाई में एक बड़ी दिक्कत क्रायोजेनिक टैंकर की कमी होना भी है। इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से तुषार मेहता ने कहा कि ये संकट का वक्त है। बेवजह बहस में उलझना पैनिक ही पैदा करेगा। दिल्ली के लोग हमें इतने ही प्रिय है, जितने केरल के। अभी दिल्ली को जितनी ऑक्सीजन मिल रही है, हमारे लिहाजा से वो पर्याप्त है।
इस पर कोर्ट ने एतराज जताते हुए कहा कि ये सही नहीं लगता। हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते। हमें दिल्ली की जानकारी है। आप ये भी देखें कि मध्य प्रदेश के बारे में एमिकस क्युरी ने क्या कहा है। एसजी तुषार मेहता ने कहा कि हमें इस लिहाज से नहीं देख सकते कि हमारे जानने वाले मर रहे हैं। यानी दिल्ली के अलावा दूसरे राज्यों का भी ख्याल रखना है। कोर्ट ने कहा कि हमें पता है। हम ये नहीं कह रहे हैं कि बाकी राज्यों के लोगों को मरने दें। इस पर फिर तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली के साथ दिक्कत ये है कि जितनी उनको सप्लाई हो रही है, वो उसे लिफ्ट नहीं कर पा रहे हैं। केंद्र सरकार इस स्तर पर भी दिल्ली की सहायता कर रही है।
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इसके बाद कोर्ट ने पूछा कि जब इतने लोगों की तादाद बढ़ रही है। ऑक्सिजन अलॉटमेंट का नंबर वहीं क्यों अटका है। इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि नहीं ऐसा नहीं है। हालात लगातार बदल रहे हैं, उस लिहाज से हम कदम उठा रहे हैं, ये स्थिति बिल्कुल अप्रत्याशित है। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि हमारे यहां कहने का ये मतलब नहीं कि केंद्र सरकार कुछ नहीं कर रही। एसजी तुषार मेहता ने कहा कि कोई पैनिक नहीं होना चाहिए। इसके बाद जस्टिस सांघी ने कहा कि पैनिक मेरे या मेरे साथी जज की टिप्पणी से नहीं हो रहा है। पैनिक तो ग्राउंड पर है।
इसके बाद हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील, एमिकस क्यूरी राव, एसजी तुषार मेहता की ओर से पेश दलीलों को रिकॉर्ड पर लिया। कोर्ट ने कहा कि हम ये साफ कर देना चाहते हैं कि हम किसी राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश की कीमत पर दिल्ली को ऑक्सीजन आरक्षित नहीं करना चाहते। पर हां, दिल्ली सरकार के वकील, एमिकस क्यूरी की दलील के बाद केंद्र सरकार को ऑक्सीजन अलॉटमेंट को लेकर अपना रुख साफ करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अभी की राय अभी तक रखी दलीलों के मुताबिक है। जाहिर तौर पर केंद्र के जवाब के बाद ही हम निष्कर्ष पर पहुंचने की स्थिति में होंगे।