कांग्रेस में अपनी पार्टी YSRTP का विलय कर बोलीं शर्मिला, राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए करूंगी काम

वाइएसआर तेलंगाना कांग्रेस पार्टी
शर्मिला का कांग्रेस में स्‍वागत करते खड़गे व राहुल गांधी।

आरयू वेब टीम। वाइएसआर तेलंगाना कांग्रेस पार्टी की संस्थापक वाइएस शर्मिला गुरुवार को कांग्रेस में शामिल हो गईं। इसके साथ ही शर्मिला ने अपनी वाइएसआर तेलंगाना कांग्रेस पार्टी के कांग्रेस में विलय की भी घोषणा की और कहा कि उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी वह उसे पूरी ईमानदारी से निभाएंगी। इस दौरान कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने पार्टी में शर्मिला का स्वागत किया। कांग्रेस को उनसे लोकसभा चुनाव और आंध्र प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत बनाने की उम्मीद जताई है।

कांग्रेस में शामिल होने के बाद शर्मिला ने कहा कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना मेरे पिता का सपना था और मैं इसके लिए काम करूंगी। उल्लेखनीय है कि शर्मिला, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुईं। इसके बाद उन्होंने सोनिया गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की जिसकी तस्वीर सामने आई। कांग्रेस की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह देश की सबसे बड़ी धर्मनिरपेक्ष पार्टी है क्योंकि यह अडिग तरीके से सभी समुदायों की सेवा करने का काम करती है और सभी वर्गों के लोगों को एकजुट करती है

गौरतलब है कि शर्मिला अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वाइएस राजशेखर रेड्डी की बेटी और आंध्र प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री वाइएस जगन मोहन रेड्डी की छोटी बहन हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व शर्मिला को इस साल लोकसभा चुनाव के साथ आंध्र प्रदेश में एक महत्वपूर्ण भूमिका देगा। इस कदम का उद्देश्य आंध्र प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के तौर पर भी देखा जा रहा है। पार्टी को उम्मीद है कि जगन मोहन रेड्डी की वाइएसआरसीपी छोड़ने के इच्छुक लोग अब कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। प्रमुख विपक्षी दल तेलुगु देशम पार्टी संघर्ष करती दिख रही है, ऐसे में शर्मिला के सामने इसे बेहतर मौके के रूप में देखा जा रहा है।

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वहीं शर्मिला के कांग्रेस में शामिल होने के दो कारण बताए जा रहे हैं। एक तो उनके भाई से मतभेद हैं और कहा जा रहा है कि उन्हें अपनी पार्टी की गतिविधियों को जारी रखने के लिए धन की कमी का सामना करना पड़ रहा। ये घटनाक्रम तब सामने आ रहा है जब कांग्रेस पार्टी द्वारा तेलंगाना में विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने और राज्य में भारत राष्ट्र समिति का प्रभुत्व खत्म कर दिया है।

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