आरयू स्पेशल, लखनऊ। काम में पारदर्शिता-ईमानदारी और शासनादेशों का पालन कराने की सीएम योगी की लाख हिदायतों व एलडीए के टेंडर को लेकर आए दिन उठने वाले सवालों के बाद भी कुछ इंजीनियर सुधरने का नाम नहीं ले रहें हैं। ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला एलडीए के टेंडर कराने को लेकर सामने आया है।
हजरतगंज के जनपथ स्थित आवास बंधु को संवारने के नाम पर मेंटेनेंस के इंजीनियरों ने बीते दस दिनों में करीब 50 लाख के टेंडर कराएं हैं। ई-टेंडर से बचने के लिए 50 लाख के काम के अनुरक्षण के इंजीनियरों की टीम ने न सिर्फ छह हिस्से कर डाले, बल्कि तीन अलग-अलग तरीखों पर नियम विरूद्ध तरीके से समान्य निविदा के तहत दो-दो टेंडर भी करा दिए। सिविल के 28 लाख के कामों की तीन, जबकि विघुत यांत्रिक के करीब 22 लाख के काम की भी तीन फाइलें ही बनाईं गयीं थीं।
टेंडर की धनरशिश दस लाख से ऊपर नहीं पहुंचे इसका खास ध्यान तो रखा ही गया साथ ही आवास बंधु के हाल की वॉल पैनलिंग के नाम पर जहां 912,649 की फाइल बनीं। वहीं हॉल की सजावट के नाम पर भी ठीक 912,649 रुपये की एक और फाइल तैयार कर दूसरा टेंडर भी करा दिया गया है।
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वहीं मामला खुलने के बाद इन ‘करामाती’ टेंडरों को ई टेंडर की जगह एलडीए की चर्चित ‘डिब्बेवाली प्रक्रिया’ के तहत क्यों करा गया, कितने फर्म ने इनमें हिस्सा लिया और किन ठेकेदारों किस दर पर ये काम दिए गए? जैसे सवालों के जवाब देने के लिए चीफ इंजीनियर एके तिवारी से लेकर अधिशासी अभियंता मनोज सागर व जेई एसके दीक्षित तक को इन टेंडरों की फाइल ढूंढे नहीं मिल रही। तीनों ही इंजीनियर एक-दूसरे के पास फाइल होने के की बात कह जानकारी देने में असमर्थता तो जाहिर कर ही रहें साथ ही इन संदिग्ध टेंडरों को कराने में अपनी भूमिका भी न के बराबर मान रहें हैं। इंजीनियरों की ऐसी जवाबदेही ने एलडीए में चल रही टेंडर की पूरी प्रक्रिया पर ही ढेरों सवाल खड़े कर दिए हैं। फिलहाल एलडीए वीसी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने मामले में जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है।
इस तरह हुआ काम ब्रेक
जानकारी के अनुसार सबसे पहले आवास बंधु में एयर कंडीशन लगाने के नाम पर 802,346 और विज्यूअल सिस्टम के लिए 756,340 रुपये का बीते 26 सितंबर को चीफ कार्यालय में डिब्बे वाला टेंडर किया गया।
इसके बाद 29 सितंबर को वॉल पैनलिंग के नाम पर 912,649 और हॉल की सजावट के नाम पर भी 912,649 का टेंडर खोला गया।
वहीं छह अक्टूबर को फर्नीचर आपूर्ति के नाम पर 976,304 और ऑडियो सिस्टम लगाने के नाम पर 616,900 का टेंडर किया गया है।
ई-टेंडर से बढ़ती प्रतिस्पर्धा, होता लाखों का फायदा
जानकारों के अनुसार इन छह टेंडरों को एक साथ या फिर अधिक से अधिक दो (सिविल व इलेक्ट्रिकल) ई-टेंडर के जरिए किया जाता तो अधिक से अधिक कंपनियां हिस्सा लेती और कंप्टीशन बढ़ने के चलते एलडीए को लाखों रुपये का आर्थिक फायदा होना तय था।
इलेक्ट्रिकल के इकलौते XEN के पास सिविल का भी चार्ज
तीन सिविल के साथ ही इलेक्ट्रिकल के भी तीन टेंडर कराने वाले एक्सईन मनोज सागर को सिविल का चार्ज देने को लेकर भी सवाल उठ रहें। एलडीए में अकेले विद्युत यांत्रिक का एक्सईएन होने के चलते सभी सातों जोन के अलावा भवनों के मेंटेनेंस के विद्युत यांत्रिक की फाइलें उन्हें ही निपटानी पड़ती है। ऐसे में पहले से ही ओवरलोड चल रहें एक्सईएन को पिछले महीने सिविल के भी अनुरक्षण का काम देने पर सिविल के कुछ एक्सईएन में असंतोष भी है, हालांकि वीसी के इस फैसले के खिलाफ कोई खुलकर नहीं बोल रहा।
ये हैं नियम
योगी सरकार आने के बाद टेंडर के खेल पर रोक लगाने के लिए एक लाख रुपए से ज्यादा के काम को ई-टेंडर के जरिए ही कराने का सरकारी विभागों के लिए शासनादेश जारी हुआ था। हालांकि बेहद जरूरी और तत्काल कराए जाने वाले दस लाख रुपए से कम के काम को समान्य टेंडर के तहत कराने की छूट दी गयी थी। इसी बात का फायदा उठाते हुए एलडीए के इंजीनियर इमरजेंसी के अलावा लगभग सभी दस लाख रुपये से कम के काम की समान्य निविदा करा रहें हैं।
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इतना ही नहीं 50 लाख व इससे भी अधिक मूल्य के कामों को समान्य निविदा के दायरे में लाने के लिए काम को ही ब्रेक कर दस लाख की फाइले बना धड़ल्ले से वीसी कार्यालय के बगल में ही स्थित चीफ इंजीनियर कार्यालय में डिब्बेवाले टेंडर कराए जा रहें हैं। अवास बंधु कार्यालय के लिए कराए गए टेंडर इसका ताजा प्रमाण है। इंजीनियरों का इस तरह से टेंडर कराना व लगाम लगाने की जगह आंख बंद रखने के चलते एलडीए के बड़े अफसरों की मंशा पर भी सवाल उठ रहें हैं।
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टेंडर कराएं जाने की जानकारी है, इनका पैसा आवास बंधु की ओर से एलडीए को मिलेगा। टेंडर की फाइलें अभी मुझ तक नहीं पहुंची है और न ही वर्क ऑर्डर जारी किया गया है। फाइल देखने के बाद ही विस्तार से कुछ बता सकेंगे। एके तिवारी, चीफ इंजीनियर एलडीए
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कभी-कभी दस लाख रुपए से कम के कामों की समान्य निविदा कराई जाती है। 50 लाख के इन कामों का किन परिस्थितियों में समान्य टेंडर कराया गया है इसकी जांच कराई जाएगी अगर गड़बड़ी मिली तो ऐसे करने वालों पर कार्रवाई भी करेंगे। डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी, एलडीए वीसी