आरयू वेब टीम। देश में लॉकडाउन के बाद रोजी-रोटी के अभाव में अपने परिवार के पास जानें के लिए कई दिनों से मीलों पैदल यात्रा करने को मजबूर मजदूरों के मामले में अब सरकार की नींद टूटी है। इस पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को राज्य सरकारों से कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान वे प्रवासी कृषि मजदूरों, उद्योगों में लगे कामगारों और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का उनके कार्यस्थल से घरों की ओर हो रहे बड़े पैमाने पर पलायन को रोकें।
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे गए परामर्श मे गृह मंत्रालय ने कहा कि वे छात्रावासों और कामकाजी महिला छात्रावासों में आवश्यक वस्तुओं की अबाध आपूर्ति सुनिश्चित करें ताकि ऐसे लोग जहां हैं, वहीं बने रहें। मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने मीडिया को बताया, ‘‘गृह मंत्रालय ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी किया है कि वे प्रवासी कृषि मजदूरों, उद्योगों में लगे कामगारों और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के बड़े पैमाने पर हो रहे पलायन को रोकें, ताकि कोरोना वायरस से संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके।’’
साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह भी परामर्श दिया गया है कि वे इस वंचित तबके को सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दें, उन्हें बताएं कि सरकार राशन की दुकानों पर नि:शुल्क गेहूं/चावल और दाल उपलब्ध करा रही है। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘यह ऐसे लोगों के पलायन को रोकने में मदद करेगा।’’
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गृह मंत्रालय ने यह भी परामर्श दिया है कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सुनिश्चित करे कि सभी होटल, किराए के मकान/कमरे और छात्रावास आदि संचालित होते रहे और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सही तरीके से हो ताकि छात्र और कामकाजी महिला छात्रावासों में रहने वाले लोग जहां हैं वहीं बने रहें।
मालूम हो कि कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंगलवार को 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा के बाद बड़े पैमाने पर प्रवासी कामगार पैदल ही अपने घर जा रहे हैं।