आरयू वेब टीम।
गुजरात में उत्तर भारतीयों पर हो रहे हमले बीते एक हफ्ते से थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। यूपी-बिहार के लोगों पर हुए इन हमलों से भय का ऐसा माहौल पैदा हो गया कि व्यापार व नौकरी के कारण वहां बसे अन्य लोग सारे कामकाज छोड़कर गुजरात से वापस लौट रहे हैं। बिहार, यूपी और एमपी आने वाली ट्रेन और बसें भरी हुई हैं। हर जगह डर का माहौल है।
इतना ही नही सोशल मीडिया पर भी खुले तौर पर उत्तर भारतीयों को गुजरात छोड़ने की धमकी दी जा रही है। गुजरात में काम करने वाले यूपी के प्रत्यक्षदर्शी ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि “मैं अहमदाबाद में काम कर रहा हूं। रात को करीब 25 से 30 बाइक सवार लोग आए और मुझे पीटा, गालियां दी। वो लोग नारे लगा रहे थे कि यूपी वालों को मार डालो। मैंने किसी तरह एक दुकान में छिपकर जान बचाई।
एक अन्य मजदूर ने बताया कि पास की बस्तियों से रात के समय गाड़ियों पर कुछ लोग सड़कों पर निकलते हैं और गुजराती में पहचान पूछते हैं। यदि आपने उन्हें हिंदी में जवाब दिया तो पिटाई शुरू कर देते हैं। इसके अलावा यह भी बताया कि नारे लगाते हुए भीड़ सब्जी के ठेले पलट रही थी और लोगों पर हमला कर रही थी।
वहीं इस तरह के माहौल पर एक पुलिस अधिकारी ने मीडिया को बताया कि उत्तर भारतीयों को राज्य से भगाने के पीछे वजह जमीन विवाद भी सामने आ रहा है। यहां साबरमती रिवर फ्रंट के जेपी चौल और गोपालदास चौल में रह रहे 17 परिवार उत्तर भारतीयों पर हुए हमले के बाद से फरार है। साथ ही ऐसी स्थिति के विषय में यह भी बताया जा रहा है कि यह जगह ठाकोर समाज के लोगों ने कुछ उत्तर भारत से आए मजदूरों को रहने के लिए दी थी, लेकिन कुछ समय बाद वो अपने गांव के लोगों को ले आए और देखते ही देखते पूरी बस्ती उनकी हो गई।
अब जब ठाकोर समाज के लोगों ने उन्हें चौल खाली करने कहा तो वो राजी नहीं हुए, जिसके बाद उन पर एक समाज ने हमला कर दिया। फिलहाल इस मामले को डीसीपी जयपाल सिंह राठौड़ ने अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन से जांच करने के लिए कहा है।
बता दें कि साबरकांठा, गांधीनगर, अहमदाबाद, पाटन और मेहसाणा समेत छह जिलों में हिंसा के 42 मामले दर्ज किए गए हैं। गुजरात के डीजीपी शिवानंद झा ने मीडिया को बताया कि अब तक 342 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
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