ICMR के सीरो सर्वे का डराने वाला खुलासा, भारत के 40 करोड़ लोगों पर मंडरा रहा कोरोना की तीसरी लहर का खतरा

आइसीएमआर
मीडिया को जानकारी देते आइसीएमआर के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव।

आरयू वेब टीम। कोरोना की तीसरी लहर को लेकर आइसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने मंगलवार को राष्ट्रीय सीरो सर्वे के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि संपूर्ण जनसंख्या में सीरो प्रीवेलेंस 67.6 प्रतिशत है। यानी देश की 67.6 प्रतिशत आबादी में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज मौजूद है। उन्होंने बताया कि अभी भी देश की एक तिहाई आबादी यानी कि 40 करोड़ लोगों पर कोरोना वायरस का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि इनमें एंटीबॉडीज डेवलप नहीं हुआ है।

डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि बच्चे वयस्क लोगों की अपेक्षा कोरोना वायरस के संक्रमण को बेहतर तरीके से हैंडिल कर लेते हैं। बच्चों में भी एंटीबॉडीज का स्तर वयस्कों के समान ही है। स्कूल खोलने पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि अगर स्कूल खोलने पर विचार किया जाये तो मिडिल स्कूल से पहले प्राथमिक विद्यालयों को खोला जाये।

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय सीरोसर्वे का चौथा दौर जून-जुलाई के बीच में देश के 70 जिलों में आयोजित किया गया था। इस सर्वे में छह से 17 साल के बच्चों को भी शामिल किया गया था। उन्होंने जानकारी दी कि सीरो सर्वे में यह बात सामने आयी है कि 6-9 वर्ष की आयु के बच्चों में एंटीबॉडीज 57.2 प्रतिशत था। 10-17 वर्ष के लोगों में यह 61.6 प्रतिशत था, 18 से 44 वर्ष के लोगों में यह 66.7 प्रतिशत था, जबकि 45-60 वर्ष के लोगों में यह 77.6 प्रतिशत था।

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डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि हमने 7252 हेल्थवर्कर्स पर अध्ययन किया और यह पाया कि 10 प्रतिशत ने वैक्सीन नहीं लिया है। इनमें सीरो प्रीवेलेंस 85.2 प्रतिशत है। निष्कर्ष के तौर पर यह कहा जा सकता है कि आम लोगों की कुल दो से तीन आबादी यानी छह साल से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना वायरस का संक्रमण हो चुका है, लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि एक तिहाई लोग अभी भी असुरक्षित हैं। यानी कि देश की 40 करोड़ आबादी अभी भी कोरोना वायरस से असुरक्षित है। यही वजह है कि कोरोना प्रोटोकॉल और तेजी से वैक्सीनेशन की सख्त जरूरत है।

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