नौसेना को INS विक्रांत सौंप बोले प्रधानमंत्री मोदी, ये भारतीय का मान-स्वभिमान बढ़ाने वाला अवसर

आइएनएस विक्रांत
आइएनएस विक्रांत।

आरयू वेब टीम। विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है, विशिष्ट है, विशेष भी है। ये सिर्फ युद्धपोत नहीं है, बल्कि 21वीं सदी के भारत का परिश्रम और प्रतिभा का प्रमाण है। चुनौतियां अनंत हैं तो भारत का विक्रांत उतर है। यह भारतीय का मान और स्वभिमान को बढ़ाने वाला अवसर है। लक्ष्य कठिन से कठिन क्यों न हो, चुनौतियां कितनी बड़ी क्यों न हो, भारत जब ठान लेता है तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं होता। उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भारतीय नौसेना को आइएनएस विक्रांत का नया अवतार सौंप कर अपने संबोधन में कही।

शुक्रवार को कोचीन शिपयार्ड पहुंचे प्रधानमंत्री ने नौसेना के नए झंडे का अनावरण किया और फिर नेवी को देश का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रांत सौंपा। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, सीएम पिनाराई विजयन सहित अन्य सैन्य अफसर मौजूद रहे।

पीएम नरेंद्र मोदी ने आइएनएस विक्रांत के कमीशनिंग पर कहा कि देश के नए भविष्य के साक्षी बन रहे हैं। केरल की पुण्य भूमि पर देश को यह उपलब्धि उस वक्त पर मिला है जब ओणम का पर्व भी चल रहा है। आइएनएस विक्रांत की अपनी एक विकास यात्रा है, स्वदेशी ताकत, कौशल और संसाधन का प्रतीक है। उन्होंने आगे कहा कि बेस में स्टील भी स्वदेशी हैं। एक तैरता हुआ शहर है, एयरफील्ड है। इसमें जितनी बिजली पैदा होती है उससे पांच हजार घरों को रोशन कर सकता है। जितना केबल इस्तेमाल हुआ है वह कोच्चि से काशी पहुंच सकता है।

मेगा इंजीनियरिंग से नैनो टेक्नोलॉजी तक का सपना हकीकत में बदल रहा है। भारत ने इस लीग में शामिल होकर विकसित राष्ट्र के क्षेत्र में एक और कदम बढ़ा दिया है। जल परिवहन के क्षेत्र में हमारी समृद्ध विरासत रही है। पीएम ने कहा कि हमारे वेदों में भी नौका और जहाजों से जुड़े कितने ही मंत्र आते हैं। वैदिक काल से लेकर गुप्त और मौर्य काल तक समुद्री सामर्थ्य का डंका दुनिया में बजता था। शिवाजी की नौसेना ने दुश्मनों की नींद उड़ा दी थी। भारत की समुद्री और नेवल ताकत की कमर तोड़ने के लिए ब्रिटिश संसद में कानून बने। भारत के पास अनुभव और तकनीक थी, लेकिन लोग कुटिलता के लिए तैयार नहीं थे। गुलामी में धीरे-धीरे भूलते गए। आजादी के अमृत काल में वह ऊर्जा वापस आ रही है।

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मोदी ने कहा कि यह इतिहास बदलने वाला एक और काम हुआ है। भारत ने गुलामी के एक निशान, एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है। आज से नौसेना को एक नया ध्वज मिला है। गुलामी की पहचान के बदले छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरित नया ध्वज समंदर और आसमान में लहराएगा। यह ध्वज वीर शिवाजी महाराज को समर्पित है। भारतीयता की एकता की भावना से ओतप्रोत यह नया ध्वज नौसेना को नई ऊर्जा देगा।
उन्होंने कहा कि भारतीय नेवी में अब महिला शक्ति भी होगा।

इतना ही नही मोदी ने आगे कहा कि जैसे समंदर में कोई दायरा नहीं होता वैसे ही भारतीय नारी शक्ति के लिए कोई दायरा नहीं होगा। नेवी की तरह ही तीनों ही सशस्त्र सेनाओं में युद्ध की भूमिकाओं में नारियों को शामिल किया का रहा है, जो देश जितना दूसरे देश पर निर्भर है उतना ही उसके लिए संकट है, जो जितना आत्मनिर्भर है उतना ही सशक्त है। कोरोना काल में देखा, समझा और अनुभव किया है। समंदर में विक्रांत है तो अनंत आकाश में यही गर्जना तेजस कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भविष्य की गतिविधियों और फोकस का केंद्र क्या होगा? इंडियन ओसियन में सुरक्षा चिंता को बड़े समय से नजरंदाज किया गया, लेकिन अब यह हमारी प्राथमिकता में शामिल है। भारत की नौसेना की ताकत अभूतपूर्व रूप से बढ़ रही है। नौसेना का बजट हम बढ़ा रहे हैं। हमारा एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा, हमारे पड़ोसी मित्र देशों के लिए व्यापार और समृद्धि के रास्ते खुलेंगे। विश्व को सशक्त भारत की ज्यादा जरूरत है। शक्ति और शांति एक-दूसरे के लिए जरूरी है। डॉ. कलाम को कोट करते हुए मोदी ने कहा कि सशक्त भारत शांत विश्व की राह प्रशस्त करेगा।

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