आरयू ब्यूरो, लखनऊ। तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए योगी सरकार ने यूपी पुलिस की कमान 1991 बैच के आइपीएस अफसर राजीव कृष्णा के हाथों में सौंपी। साफ छवि के राजीव कृष्ण यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष के साथ डायरेक्टर विजिलेंस की जिम्मेदारी संभाल रहें हैं। उन्हें 11 वरिष्ठ आइपीएस अफसरों को सुपरसीड कर कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया है। देर शाम तक इंतजार के बाद भी निवर्तमान कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार नहीं मिल सका, जिसके बाद देर शाम राजीव कृष्णा को डीजीपी बनाने की घोषणा कर दी गयी। उन्होंने रात करीब नौ बजे डीजीपी का कार्यभार ग्रहण कर लिया।
मूल रूप से गौतमबुद्ध नगर निवासी राजीव कृष्णा इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन से इंजीनियरिंग की है। उन्हें दो बार राष्ट्रपति का गैलेंट्री अवार्ड भी मिल चुका है। उनकी सेवानिवृत्ति में अभी चार वर्ष और एक माह का समय बाकी है, जिसकी वजह से वह लंबे समय तक प्रदेश के डीजीपी बने रह सकते हैं।
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अपने तीन दशक से अधिक लंबे करियर में राजीव कृष्ण ने कई अलग-अलग भूमिकाओं में काम किया है। उनकी छवि एक कर्मठ अधिकारी की रही है। वर्तमान में वे डीजी इंटेलिजेंस और पुलिस भर्ती बोर्ड के चेयरमैन जैसे दो पदों की जिम्मेदारियां एक साथ संभाल रहे हैं। राजीव कृष्ण की गिनती शासन के करीबी और भरोसेमंद अफसरों में भी होती है।
सिपाही भर्ती परीक्षा के थे हीरो
गौरतलब है कि यूपी में सिपाही नागरिक पुलिस के 60,244 पदों सीधी भर्ती की लिखित परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद प्रदेश सरकार ने राजीव कृष्णा को भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी थी। उन्होंने परीक्षा को सकुशल संपन्न कराई, जिसकी वजह से उनकी काबिलियत का लोहा मानते हुए राज्य सरकार ने उन्हें प्रदेश पुलिस का मुखिया बनाने का फैसला लिया है। राजीव कृष्णा लखनऊ समेत कई जिलों के पुलिस कप्तान भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह लखनऊ के एडीजी जोन भी रहे हैं। उनकी पत्नी मीनाक्षी सिंह वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी हैं और लखनऊ स्थित आयकर विभाग के मुख्यालय में तैनात हैं।
इनको किया सुपरसीड
वर्ष 1989 बैच के शफी अहसान रिजवी, आशीष गुप्ता, आदित्य मिश्रा, वर्ष 1990 बैच के संदीप सालुंके, दलजीत सिंह चौधरी, रेणुका मिश्रा, बिजय कुमार मौर्य, एमके बशाल, तिलोत्तमा वर्मा, वर्ष 1991 बैच के आलोक शर्मा और पीयूष आनंद।
यूपी को लगातार पांचवा कार्यवाहक डीजीपी
बता दें कि राजीव कृष्णा प्रदेश के पांचवें कार्यवाहक डीजीपी बनाए गए हैं। इससे पहले डीएस चौहान, आरके विश्वकर्मा, विजय कुमार, प्रशांत कुमार कार्यवाहक बनाए गए थे। इसकी वजह राज्य सरकार द्वारा बीते करीब तीन वर्ष से संघ लोक सेवा आयोग को पैनल नहीं भेजा जाना है।
लखनऊ समेत कई जिलों के रह चुके कप्तान
राजीव कृष्णा लखनऊ, मथुरा, इटावा, आगरा और नोएडा समेत कई जिलों के पुलिस कप्तान भी रह चुके हैं। इटावा में तैनाती के दौरान उन्होंने दस्युओं के गिरोह का सफाया भी किया था इसके अलावा वह लखनऊ के एडीजी जोन और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बार्डर सिक्योरिटी फोर्स में आईजी ऑपरेशन भी रहे हैं। यूपी में एटीएस के गठन में भी उनकी अहम भूमिका थी। उनकी पत्नी मीनाक्षी सिंह वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी हैं और लखनऊ स्थित आयकर विभाग के मुख्यालय में तैनात हैं।
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बताते चलें कि डीजीपी के चयन के लिए राज्य सरकार ने पिछले वर्ष पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश के पुलिस बल प्रमुख) चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 को मंजूरी जरूर दी थी, पर उसके तहत अब तक समिति का गठन भी नहीं किया गया है। ऐसे में प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार न मिलने की दशा में डीजी विजिलेंस राजीव कृष्ण को डीजीपी का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था।