आरयू वेब टीम।
19 दिनों के इंतजार के बाद आज साफ हो गया कि ओपी सिंह उत्तर प्रदेश के नए डीजीपी का पद भार नहीं ग्रहण कर सकेंगे। केंद्र से रिलीव नहीं मिलने की वजह से अब तक चार्ज नहीं ग्रहण करने वाले ओपी सिंह का नाम डीजीपी पद के लिए कैंसिल कर दिया गया है। कहा जा रहा है पीएमओ से मंजूरी नहीं मिलने के चलते उन्हें रिलीव नहीं किया जा सका है।
हालांकि इस बारे में प्रमुख सचिव गृह ने बताया कि उन्हें इसके बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। वहीं जानकारों का मानना है कि मुलायम सिंह यादव से ओपी सिंह की नजदीकी और गेस्ट हाउस कांड को लेकर ओपी सिंह के नाम पर सहमति नहीं बन सकी है।
ओपी सिंह का नाम कैंसिल होने के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि योगी सरकार देश के सबसे बड़ें सूबे के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी की कुर्सी अब और ज्यादा दिनों तक नहीं खाली रखेगी। एक से दो दिन में डीजीपी की रेस से पूर्व में बाहर हो चुके किसी वरिष्ठ आइपीएस अफसर को सूबे के पुलिस मुखिया की कुर्सी पर बैठाया जा सकता है।
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वहीं दूसरी ओर ओपी सिंह का नाम फाइनल होने के बाद रेस से बाहर हो चुके पुलिस अधिकारियों में एक बार फिर से रेस शुरू हो चुकी है। अधिकारियों ने भी अपने लोगों को पक्ष में समीकरण बनाने के लिए लगा दिया है।
बताते चलें कि सुलखान सिंह के 31 दिसंबर को डीजीपी के पद से अवकाश प्राप्त होने के बाद योगी सरकार ने ओपी सिंह को यूपी का नया डीजीपी बनाने की घोषणा कर दी थी। केंद्र में तैनात ओपी सिंह को तीन जनवरी को चार्ज ग्रहण करना था। हालांकि ऐसा नहीं हो सका और आज डीजीपी पद के लिए उनका नाम कैंसिल होने की जानकारी सामने आयी। इसके साथ ही लंबे समय से डीजीपी की कुर्सी खाली रहने के चलते सपा समेत अन्य विरोधी दल योगी सरकार की कार्यप्रणाली पर ऊंगली उठा चुके हैं।
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