आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। विधानसभा में आज दोबारा यूपीकोका बिल पास होने पर विरोधी दलों ने जमकर विरोध करने के साथा ही यूपीकोका को काला कानून बताते हुए विपक्ष ने सदन से वाक आउट करने के साथ ही सवाल भी उठाएं। सपा के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष राम गोविन्द चौधरी ने कहा कि हर सरकार चाहती है कि उसके राज में कानून-व्यवस्था ठीक हो। जनता भी यही चाहती है।
योगी आदित्यनाथ के भाषण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के भाषण से प्रतीत हुआ कि अपराध घटे हैं। जब कानून-व्यवस्था बेहतर हो गयी है, तब इस कानून को लाने की जरूरत क्या है। यह लोकतंत्र एवं संविधान विरोधी कानून है। चौधरी ने कहा कि भाजपा सरकार के समय अपराध बढे़ हैं। यूपीकोका पुलिस की जेब भरने वाला कानून है। वहीं उन्होंने आज के दिन को यूपी का काला दिवस बताते हुए कहा कि सरकार ने यूपीकोका को पास कराया है। यह आम जनता, किसानों, गरीबों व पत्रकारों के लिए हानिकारक है।
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याद दिलायी अंग्रेजी हुकूमत
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय कुमार लल्लू यूपीकोका के विरोध में बोले कि योगी सरकार ने काला कानून लाकर अंग्रेजी हुकूमत याद दिलाने का काम किया है। यह कानून, संविधान व लोकतंत्र विरोधी हैं इस में पत्रकारों तक को आजादी नहीं है। इसकी जद में आने वाले को अपनी बात कहने का कोई अधिकार नहीं होगा। उन्होंने आगे कहा कि आज तक ऐसा कोई कानून नहीं था, जिसमें पीड़ित को आवाज उठाने का मौका नहीं मिलता हो, लेकिन इसमें पीड़ित की आवाज दबा दी जाएगी। कांग्रेस इस बिल का पुरजोर विरोध करेगी।
लोकतंत्र की हत्या के बराबर है विधेयक
यूपीकोका के विरोध में बसपा की ओर से लालजी वर्मा ने भी पूरे जोर से विधानसभा में विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि आप राजनीतिक विरोधियों को दबाने के लिए काला कानून लाए निश्चित रूप से यह एक लोकतंत्र की हत्या के समान विधेयक हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारा यह मानना है कि अगर सरकार इस तरीके का अपराध नियंत्रण करना चाहती तो महाराष्ट्र में ऐसी ही बीजेपी की सरकार में ऐसा ही एक विधेयक और कानून बना हुआ है, लेकिन उससे कितना अपराध नियंत्रण हो रहा है यह भी देखने वाली बात है अगर अपने पक्ष कानूनी अपराध करता है तो उसे वाई श्रेणी की सुरक्षा दी जाती है और दूसरे पक्ष का होता है तो उसे प्रताड़ित करने का काम किया जाता है। इस विधेयक का हम पुरजोर विरोध करते हैं।
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