केजरीवाल ने प्रदूषण को बताया दिल्‍ली में बढ़ते कोरोना का कारण, दस दिनों में फिर से काबू में आने की उम्‍मीद

पूसा एग्रीकल्चर इन्स्टीट्यूट
मीडिया को जानकारी देते सीएम केजरीवाल।

आरयू वेब टीम। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली में एक बार फिर कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं और इसका सबसे बड़ा कारण प्रदूषण है। दिल्ली के लोगों ने पिछले महीने तक कोरोना पर काबू पा लिया था, लेकिन प्रदूषण के कारण इसमें फिर से वृद्धि देखी जा रही। केजरीवाल ने कहा कि उम्मीद है कि दिल्ली में कोविड-19 की स्थिति अगले सात से दस दिनों में नियंत्रण में आ जानी चाहिए। इसके लिए हम अगले सप्ताह कई जरूरी कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं।

प्रेसवार्ता में मीडिया से बात करते हुए केजरीवाल ने कहा कि पराली जलने की वजह से पूरे उत्तर भारत में प्रदूषण फैल रहा है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने की वजह से पूरे एक महीने तक उत्तर भारत पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में धुआं ही धुआं होता है। उन्होंने कहा कि पिछले 10-12 साल से हर साल अक्टूबर और नवंबर में पराली जलने की वजह से पूरा उत्तर भारत परेशान रहता है।

आप नेता ने दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पराली की समस्या से किसान भी परेशान रहते थे, लेकिन अब ऐसा नही होगा, क्योंकि पूसा एग्रीकल्चर इन्स्टीट्यूट ने इसका समाधान निकाल लिया है। सीएम ने कहा कि वहां के वैज्ञानिकों ने ऐसा बायो डी कंपोजर बनाया है, जिसका घोल बनाकर छिड़कने से पराली 20 दिन के अंदर गल जाती है और खेतों में खाद बन जाती है। सीएम ने कहा कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली 2000 एकड़ कृषि भूमि पर इसका छिड़काव करवाया है। वहीं 24 गांव के अंदर 13 अक्टूबर से छिड़काव किया गया था, जिसके नतीजे आने शुरू हो गए हैं। वहां 20 दिन बाद 70-95 प्रतिशत डंठल गल चुका है। पूसा इन्स्टीट्यूट ने भी इसकी रिपोर्ट दी है। किसान इससे बहुत खुश हैं।

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सीएम ने सवालिया लहजे में कहा कि पराली की समस्या का समाधान तो निकल गया है, लेकिन अब बारी है राज्य सरकारों को जिम्मेदारी निभाने की। क्या दिल्ली के आसपास की राज्य सरकारें इसे लागू करेंगी या साल दर साल लोग प्रदूषण से इसी तरह जूझते रहेंगे?

इसके अलावा दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री ने कहा कि उन्होंने कई किसानों से बात की तो पता चला कि किसान भी पराली जलाना नहीं चाहते, क्योंकि पराली जलाने की वजह से सबसे ज्यादा धुआं तो उनके अपने घरों में होता है। साथ ही कहा कि मीडिया क्योंकि दिल्ली में है, इसलिए दिल्ली का प्रदूषण तो दिखाता है, लेकिन गांव का प्रदूषण नहीं दिखाता। ” इस बारे में अभी तक कोई ठोस काम नहीं किया गया था। हर साल इस समय शोर होता है, उस पर राजनीति होती है, लेकिन काम नहीं होता। इस बार मैं पूसा इंस्टीट्यूट का धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने इसका समाधान निकाल लिया है।”

इस दौरान केजरीवाल ने कहा, “पराली जलाने से मिट्टी भी खराब हो जाती है और धुआं भी होता है, इसलिए मेरी पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सरकारों और सभी कोर्ट से हाथ जोड़कर अपील है कि अब हमारे सामने समाधान है और बहुत कम पैसे में यह किया जा सकता है, इसे लागू करें।

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