सिर्फ बड़े औधोगिक घराने और पूंजीपतियों के पक्ष में मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां: रालोद

बुलंदशहर हिंसा
डॉ. मसूद अहमद। (फाइल फोटो)

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल ने गुरुवार को मोदी सरकार पर आर्थिक मोर्चे पर विफल होने का आरोप लगाया है। रालोद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने कहा कि केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियां आम जनता के पक्ष में न होकर बड़े औद्योगिक घरानों एवं पूंजीपतियों के पक्ष में है।

साथ ही उन्‍होंने यह भी कहा कि डॉलर की अपेक्षा लगातार हो रहे रूपये के अवमूल्यन का परिणाम है कि आज देश में मंहगाई चरम पर है। सरकार केवल फर्जी आकड़े और छल्लेदार जुमलेबाजी के साथ झूठ बोलने में अपना समय पूरा कर रही है। यदि इसकी वास्तविकता देखा जाए तो देश आर्थिक विफलताओं एवं जनविरोधी नीतियों के फलस्वरूप लगभग दस वर्ष पीछे चला गया है।

वस्‍तुओं पर आयात शुल्‍क बढ़ाकर देश की जनता को मंहगाई का दिया एक और तोहफा

हमला जारी रखते हुए रालोद के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि केन्द्र सरकार ने अपने कार्यकाल के अन्तिम समय में रूपये के अवमूल्यन के घाटे को पूरा करने के लिए आम जनता की आवश्‍यकताओं की वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाकर देश की जनता को मंहगाई का एक और तोहफा देने का प्रयास किया है।

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इस आयात शुल्क की बढोत्तरी से अधिकांश वस्तुएं आम जनता की है, जिनमें जूते चप्पल से लेकर रसोई घर के सामान के साथ-साथ अन्य वस्तुएं हैं, जिनमें एसी, फ्रिज और वाशिंग मशीन जैसी मध्यम वर्गीय परिवारों की वस्तुएं हैं। इन सभी वस्तुओं पर डेढ़ से दुगुना तक आयात शुल्क बढ़ाना देश की जनता के प्रति घोर अन्याय है और सरकार के कुत्सित व्यहार की पराकाष्ठा है।

35 रुपये तो दूर शतक बनाने की ओर है पेट्रोल-डीजल के दाम

वहीं पेट्रोल और डीजल की बढ़ी किमतों पर डॉ. मसूद ने कहा कि पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि एक वर्ष से लगातार जनता की कमर तोड़ रहा है, लेकिन सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही है। इतना ही नहीं उन्‍होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री के वोट मांगने के लिए सभाओं का जिक्र करते हुए कहा कि पीएम कहते थे कि पेट्रोल 35 रूपये में चाहिए या 80 रूपये में। आज वहीं पेट्रोल शतक बनाने की ओर पहुंच रहा है।

जनता ने यातनाएं झेलने का पांच साल किया पूरा, अब सिखाएगी सबक

रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि देश की जनता ने भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारकों के जुमलों में आकर जिस भविष्य का सपना देखा था, वह सपना केवल सपना रहा और देश के प्रधानमंत्री विदेशों में घूमने का लुत्फ उठाते रहे। जनता ने आर्थिक, मानसिक और शारीरिक यातनाएं झेलते हुए लगभग पांच साल का समय पूरा कर लिया है। आगामी 2019 के लोकसभा चुनाव में इन आंकडेबाजों, जुमलेबाजों और देश की जनता के साथ धोखा करने वालों को निश्चित रूप से सबक सिखाया जायेगा, ताकि आने वाली सरकार सचेत हो सके और जनहित के कार्यो को प्राथमिकता के साथ पूरा कर सके।

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