आरयू वेब टीम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से उनके खिलाफ ताल ठोकने वाले बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव ने नामांकन रद्द किए जाने के बाद सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है।
सपा के टिकट पर गठबंधन की ओर से दावेदारी पेश करने वाले तेज बहादुर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के उस फैसले का चुनौती दी है, जिसमें जानकारी छिपाने के आरोप में उनका नामांकन रद्द कर दिया गया था। नामांकन रद्द होने के बाद भी तेज बहादुर यादव ने चुनाव आयोग पर मोदी सरकार के इशारे पर पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्हें अपनी बात रखने का पर्याप्त समय ही नहीं दिया गया। ये सब चुनाव आयोग वाराणसी लोकसभा सीट से नरेंद्र मोदी को जितवाने के लिए कर रहा है।
यह भी पढ़ें- BSF जवान तेज बहादुर की पत्नी ने लगाए आरोप पति को गिरफ्तार कर किया जा रहा प्रताडि़त
वहीं अब सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण तेज बहादुर यादव की ओर से मामले पर पूरा पक्ष रखने के साथ ही देश की सबसे बड़ी अदालत से न्याय के लिए दलीलें पेश करेंगे। तेज बहादुर ने अपनी याचिका में कहा है कि आयोग का निर्णय भेदभावपूर्ण और अतार्किक है तथा इसे खारिज किया जाना चाहिए।
यह भी पढ़ें- वाराणसी से सपा ने बदला प्रत्याशी, अब BSF के बर्खास्त जवान तेज बहादुर गठबंधन की ओर से देंगे मोदी को चुनौती
बताते चलें कि तेज बहादुर ने वाराणसी सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर सबसे पहले नामांकन किया था और हलफनामे में बताया था कि उन्हें अनुशासनहीनता के आरोप में बीएसएफ से निकाला जा चुका है।
यह भी पढ़ें- मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ रहे तेज बहादुर का नामांकन रद्द, कहा जाएंगे सुप्रीम कोर्ट, समर्थकों ने किया प्रदर्शन
वहीं बाद में शालिनी यादव का टिकट काटकर ऐन वक्त पर सपा ने वाराणसी सीट से तेज बहादुर यादव के नाम की घोषणा कर दी थी। जिसके ठीक बाद सपा केे टिकट से तेज बहादुर ने दोबारा नामांकन किया और इस बार जो हलफनामा वाराणसी निर्वाचन अधिकारी को दिया उसमें बीएसएफ से निकाले जाने की जानकारी नहीं थी। दोनों नामांकन पत्र में भिन्नता के आधार पर चुनाव आयोग ने तेज बहादुर का पर्चा खारिज कर दिया था।