आरयू वेब टीम। सरकार एवं प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच कृषि कानूनों पर पांचवे दौरं की बातचीत से पहले अखिल भारतीय किसान सभा के अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि नये कृषि कानूनों को वापस लिये जाने के बाद ही यह किसान आंदोलन समाप्त होगा। दोनों पक्षों के बीच बृहस्पतिवार को चौथे दौर की बैठक हुयी थी जो कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध समाप्त करने में विफल रही। किसान इन कानूनों को समाप्त करने की अपनी मांग पर अड़े हुए थे।
अखिल भारतीय किसान सभा के वित्त सचिव कृष्ण प्रसाद ने कहा, हमारे दिमाग में इस बात को लेकर कोई शंका नहीं है कि इन कानूनों को वापस लिये जाने के बाद ही यह आंदोलन समाप्त होगा। हम यहां से नहीं हिलेंगे। हम चाहते हैं कि सरकार अपने प्रस्ताव को संसद में ले जाये और इस मुद्दे पर संसदीय समिति चर्चा करे। हम लोगों को इस कानून को वापस लिये जाने से कम कुछ भी मान्य नहीं होगा।
सर्दी के बीच हजारों किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुये पिछले नौ दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर डटे हुये हैं। प्रसाद ने कहा, इस मौके पर ट्रांसपोर्ट यूनियनों एवं खुदरा व्यापारियों और अन्य सबंधित समूहों ने हमारे साथ एकजुटता दिखायी है। हमारा आंदोलन केवल किसानों के लिये नहीं है।
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कृष्ण प्रसाद ने दावा किया कि इन कानूनों से कृषि में विदेशी हस्तक्षेप को अनुमति मिलेगी और कहा कि इनसे कृषि क्षेत्र में कॉरपोरेट का अधिपत्य हो जायेगा। अखिल भारतीय किसान सभा ने प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ देश भर में दर्ज मामलों को बिना शर्त वापस लिये जाने की भी मांग की।
वहीं किसान संगठन ने ट्वीट किया, किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को डराने-धमकाने के लिये दिल्ली पुलिस का इस्तेमाल करने के लिये अखिल भारतीय किसान सभा मोदी सरकार की कड़ी निंदा करता है।