जानें ओवैसी ने आर्मी चीफ से क्‍यों कहा राजनीत में न करें हस्‍ताक्षेप

न करें हस्‍ताक्षेप
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम।

सेना प्रमुख बिपिन रावत के असम की ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) पर दिए गए बयान पर राजनीत शुरू हो गई है। सेना प्रमुख के इस बयान पर एआइएमआइएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्‍होंने रावत को राजनीतिक मामलों में दखल न देने की हिदायत तक दे दी है।

इस मामले में गुरुवार को ओवैसी ने कहा कि सेना प्रमुख को राजनीतिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए, किसी राजनीतिक पार्टी के उदय पर बयान देना उनका काम नहीं है। एआइएमआइएम अध्‍यक्ष ने ट्वीट करतें हुए ये भी कहा कि लोकतंत्र और संविधान इस बात की अनुमति देता है कि सेना हमेशा एक चुने हुए नेतृत्व के तहत काम करेगी।

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ओवैसी ने प्रतिक्रिया सेना प्रमुख बिपिन रावत के एक सेमिनार में दिए गए बयान पर दिया जिसमें उन्‍होंने कहा था कि जितनी तेजी से भाजपा का विस्तार नहीं हुआ उतनी तेजी से असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआइयूडीएफ बढ़ी है। उन्होंने कहा था कि नार्थ ईस्ट में एआइयूडीएफ नाम का राजनीतिक संगठन विकास कर रहा है।

साथ ही पड़ोसी देशों की ओर इशारा करते हुए जनरल रावत ने कहा कि जिस तरह कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए आतंकवादी भेजे जाते हैं। उसी तरह उत्तर भारत में अशांति फैलाने के लिए अवैध आबादी को भारत में भेजा जाता है। इसके पीछे सेना प्रमुख ने वोट बैंक की राजनीति को दोषी बताया।

इस पार्टी का विकास भाजपा के मुकाबले तेज हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि जनसंघ का आज तक का जो सफर रहा है उसके मुकाबले एआइयूडीएफ का विकास तेजी से हुआ है। गौरतलब है कि एआइयूडीएफ नाम का संगठन मुस्लिमों की आवाज उठाता रहा है।

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