रविशंकर प्रसाद ने भारी हंगामे के बीच लोकसभा में पेश किया तीन तलाक बिल

तीन तलाक
रविशंकर प्रसाद

आरयू वेब टीम। 17वीं लोकसभा के गठन के बाद मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान शुक्रवार को भारी हंगामे के बीच तीन तलाक बिल पेश हो गया है। यह मोदी सरकार 2 का पहला बिल है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश कर दिया है। स्पीकर ओम बि़ड़ला ने कहा कि मंत्री सिर्फ बिल पेश करने की अनुमति मांग रहे हैं और किसी सदस्य की आपत्ति है तो फिर मैं जवाब देने के लिए तैयार हूं। इसके बाद हंगामे के बीच रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल लोकसभा में पेश कर दिया।

बता दें कि सरकार के पिछले कार्यकाल में भी तीन तलाक पर बिल लाया गया था, लेकिन यह राज्यसभा से पास नहीं हो पाया था। लोकसभा में ध्वनिमत से तीन तलाक बिल पेश होने का विपक्षी दलों ने विरोध किया, जिसके बाद इस पर डिवीजन कराया गया। वोटिंग के नतीजों में बिल को पेश करने के पक्ष में 186 वोट पड़े, जबकि 74 सदस्यों ने बिल को पेश न करने के पक्ष में वोटिंग की। इसके बाद रविशंकर प्रसाद ने फिर से बिल पेश कर दिया।

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कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमने पिछली सरकार में इस बिल को लोकसभा से पारित किया था, लेकिन राज्यसभा में यह बिल पेंडिंग रह गया था। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रक्रियाओं के अनुसार हम बिल को फिर से लेकर आए हैं। जनता ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है और कानून पर बहस अदालत में होती है और कोई लोकसभा को अदालत न बनाए।

मंत्री ने कहा कि यह सवाल सियासत या इबादत का नहीं, बल्कि नारी न्याय का सवाल है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में कहा गया है कि किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता, इसलिए यह संविधान के खिलाफ कतई नहीं है बल्कि उनके अधिकारों से जुड़ा हैं।

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असदुद्दीन ओवैसी समेत विपक्ष की आपत्तियों का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘शायरा बानू के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक का मामला मनमाना और असंवैधानिक है। यह सवाल न सियासत का है, न इबादत का, न धर्म का, न मजहब का। यह सवाल है नारी के साथ न्याय और गरिमा का। भारत के संविधान में आर्टिकल 15 लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं होने की बात कहता है।

रविशंकर प्रसाद बिल की जरूरत को बताते हुए कहा, ’70 साल बाद क्या संसद को नहीं सोचना चाहिए कि 3 तलाक से पीड़ित महिलाएं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी न्याय की गुहार लगा रही हैं तो क्या उन्हें न्याय नहीं मिलना चाहिए। 2017 से 543 केस तीन तलाक के आए, 239 तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आए। अध्यादेश के बाद भी 31 मामले सामने आए। इसीलिए हमारी सरकार महिलाओं के सम्मान और गरिमा के साथ है।’ बता दें कि मोदी सरकार ने सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था, क्योंकि यह राज्यसभा से पारित नहीं हो सका था।

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