आरयू वेब टीम। देश में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए देश में 19 दिनों के लिए लॉकडाउन और बढ़ा दिया गया है। इस दौरान स्कूल प्रशासन अभिभावकों से फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं। अभिभावकों से मिल रही इस तरह की शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने स्कूलों के लिए सख्त नियम बनाए हैं।
मीडिया से बात करते हुए डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने आज कहा कि मेरे संज्ञान में आया है कि कई स्कूल मनमानी फीस ले रहे हैं और स्कूलों के बंद होने पर भी परिवहन शुल्क वसूल रहे हैं। निजी स्कूलों को इस स्तर तक नहीं जाना चाहिए। निजी हों या सरकारी स्कूल वे फीस नहीं बढ़ा सकते। अगर कोई स्कूल सरकार के इस फैसले का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ दिल्ली स्कूल एक्ट व राष्ट्रीय आपदा कानून के तहत सख्त कार्रवाई होगी।
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वहीं डिप्टी सीएम ने स्कूलों से स्पष्ट कहा है कि सभी प्राइवेट स्कूलों की जिम्मेदारी है कि सभी टीचिंग, नॉन टीचिंग, कॉन्ट्रैक्ट या आउट सोर्स वाले स्टाफ की सैलरी समय से दें। साथ उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि ये आदेश सभी प्राइवेट स्कूलों (सरकारी जमीनों अथवा प्राइवेट जमीनों वाले) पर लागू होंगे।
मनीष सिसोदिया ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आदेश दिए हैं कि दिल्ली के प्राइवेट स्कूल बिना सरकार से पूछे फीस नहीं बढ़ाएंगे। इसके अलावा वो बच्चों से एक साथ तीन महीने की फीस नहीं लेंगे, केवल एक महीने की ट्यूशन फीस के अलावा कोई अन्य फीस नहीं लेंगे। फीस न देने पर किसी बच्चे को ऑनलाइन क्लास से नहीं हटाएंगे।
गौरतलब है कि इस संबंध में दिल्ली शिक्षा निदेशालय के 17 अप्रैल को जारी आदेश में आपदा प्रबंधन एक्ट 2005, दिल्ली एपिडेमिक एक्ट, कोविड 19 रेगुलेशंस 2020 आदि का हवाला दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि कोविड 19 के चलते कई अभिभावक जो बिजनेस, प्रोफेशनल या अन्य तरह के व्यवसायों में उनके काम पर असर पड़ा है।
ऐसे में कई अभिभावक ऐसे हैं जो एक साथ तिमाही की फीस नहीं भर सकते हैं। अब जब हालात इस तरह के हैं तो सभी लोग कुछ न कुछ सहयोग देकर देश के लिए अपना योगदान दे रहे हैं। ऐसे में प्राइवेड, एडेड या अनएडेड जो भी स्कूल दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 के प्राविधानों में आते हैं, उनसे उम्मीद है कि फीस को लेकर जारी की गई।