मायावती ने दिया राज्‍यसभा से इस्‍तीफा, बोली दलितों का मुद्दा नहीं उठा सकती तो सदस्‍य बनने का क्‍या औचित्‍य

मायावती की चिंता
मायावती। फाइल फोटो

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावी ने आज सुबह राज्‍यसभा में नाराज होने के बाद इस्‍तीफा दे दिया है। राज्‍यसभा में हंगामे के कुछ घंटे बाद ही मायावती के इस फैसले से हड़कंप है। राज्‍य सभा के सभापति को भेजे गए इस्‍तीफे में मायावती ने सुबह की घटना का जिक्र करते हुए कहा है कि सहारनपुर के शब्‍बीरपुर में हुई दलितों की हत्‍याओं और उत्‍पीड़न का मुद्दा आज वह सदन में उठा रही थी, लेकिन उन्‍हें ठीक से ऐसा करने नहीं दिया गया।

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उन्‍होंने कहा कि उप सभापति ने इतने गंभीर और विस्‍तृत मुद्दे के लिए उन्‍हें मात्र तीन मिनट का समय दिया। उनके कई बार अनुरोध करने के बाद भी समय को नहीं बढ़ाया गया। जबकि उन्‍होंने बोलना शुरू ही किया था कि सत्‍ता पक्ष के सांसद और मंत्रीगण खड़े होने के बाद शोर-शराबा कर उन्‍हें रोकने की कोशिश करने लगे।

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शोर-शराबे के बीच ही किसी तरह मैने यह बताया कि किस तरह से भाजपा सरकार बनने के बाद देश भर में दलित, मुसलमानों, पिछड़ों, किसानों आदि का किस तरह से शोषण किया जा रहा है। उत्‍तर प्रदेश के सहारनपुर में तो सोची-समझी साजिश के तहत जमकर दलितों पर अत्‍याचार किए गए। बाद में इसे जातीय हिंसा का नाम दे दिया गया।

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शोर के चलते उनकी यह बातें सुनी नहीं गई। बार-बार अनुरोध के बाद उप सभापति ने सत्‍ता पक्ष के लोगों को शांत कराने की जगह तीन मिनट पूरा होते ही घंटी बजाकर उन्‍हें ही बैठा दिया। इस दौरान उन्‍होंने उप सभापति से यह भी कहा कि राज्‍यसभा की रूल बुक में कही भी यह नहीं लिखा है कि स्‍थगन प्रस्‍ताव की नोटिस पर सिर्फ तीन मिनट का ही समय मिलेगा। इस्‍तीफा स्‍वीकार करने का अनुरोध करते हुए मायावती ने कहा कि बार-बार अनुरोध के बाद भी मुझे अपनी पूरी बात रखने का दोबार मौका नहीं मिला। इन परिस्थितियों में मैं अगर दलित, पिछड़ों, अल्‍पसंख्‍यकों का मुद्दा सदन में नहीं उठा सकती तो मेरे सदस्‍य बने रहने का कोई औचित्‍य नहीं है।

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