नई शिक्षा नीति के विरोध में प्रतियां फूंक, “कांग्रेस ने कहा, इससे दिया जा रहा सांप्रदायिक संघवाद को बढ़ावा”

नई शिक्षा नीति का विरोध
प्रतियां जलाते कांग्रेस सेवादल के कार्यकर्ता।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति के विरोध में शनिवार को शिक्षक दिवस के मौके पर कांग्रेस सेवादल ने प्रदर्शन किया। कांग्रेस सेवादल के मध्य जोन के कार्यकर्ताओं ने विरोध में नई शिक्षा नीति के अध्यादेश की प्रतियों की होली जलाकर विरोध दर्ज कराते हुए कहा है कि नई शिक्षा नीति बच्‍चों के जीवन को न सिर्फ अंधकारमय बनाएगी, बल्कि इससे जरिए सांप्रदायिक संघवाद को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

प्रदर्शन का नेतृत्‍व करने वाले कांग्रेस सेवादल मध्य जोन के अध्यक्ष राजेश सिंह काली ने मीडिया से कहा है कि मोदी सरकार द्वारा बनाई गयी नई शिक्षा नीति में कई विसंगतियां हैं, जिससे विद्यार्थियों का जीवन अंधकारमय हो जाएगा। इन विसंगतियों को दूर करने के लिए कांग्रेस सेवादल द्वारा कोरोना महामारी को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए आज शिक्षक दिवस पर लखनऊ में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र के साथ जन-जन का है यह अधिकार, शिक्षा से मत करो खिलवाड़, ‘शिक्षा नीति का आधार, बीजेपी करती है व्यापार‘ ‘शिक्षा जीवन का आधार उसके बिना सब कुछ है बेकार’, जैसे नारों के साथ व्यापक  प्रदर्शन किया है।

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काली ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत के संविधान की धारा 21 ए में छह से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा उल्लेखित है जो कि इस आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे का मौलिक अधिकार है, लेकिन हाल ही में घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस अधिकार का हनन कर रही।

साथ ही इस नीति द्वारा सरकार शिक्षा के अपने दायित्व से पल्ला झाड़ते हुए बाजारीकरण मार्ग प्रशस्त कर रही है तथा दुभांत शिक्षा प्रणाली अर्थात “एजूकेशन फॉर क्लासेज एण्ड लिटरेसी फार मासेज” को बढ़ावा दे रही है।

वहीं नई शिक्षा नीति संबंधी नियामक स्वायत्त संस्थाओं को ध्वस्त कर केन्द्रीयकृत व्यवस्था बनायी जा रही है जो देश के संघीय ढांचे पर प्रहार है। इस प्रकार राज्यों की स्वायत्ता को समाप्त करने का षडयंत्र है। इसके अलावा इस शिक्षा नीति में सांप्रदायिक संघवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसे तुरंत रोका जाए।

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काली ने कहा कि शिक्षा नीति में देश की विविधता के परिप्रेक्ष्‍य में सभी को एक समान शिक्षा प्रदत्त करने के समान खाके को नकारा गया है। वर्तमान में लागू त्रिभाषा व्यवस्था को यथावत रखा जाये एवं बाजार के लिए सस्ते श्रमिक तैयार करने के बजाए जीवन कौशलता की शिक्षा पर जोर दिया जाये।

प्रदर्शन में सुशील तिवारी, संजीव सिंह, आलेख पाण्डेय, शिवम श्रीवास्तव, जीवन श्रीवास्तव, राकेश तिवारी, सुनील शर्मा, नेकपाल यादव, सरवन रावत, रिंकू व गौतम मौजूद रहें।

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