आरयू ब्यूरो, लखनऊ। विधानसभा के सामने सोमवार को उस समय हड़कंप मच गया, जब लोकसभा चुनाव के एक निर्दलीय प्रत्याशी ने वहां पहुंचकर अपने ऊपर पेट्रोल डाल लिया। आत्मदाह के लिए कार के ऊपर खड़ा प्रत्याशी माचिस जलाता इससे पहले ही वहां मौजूद पुलिस ने उसे पकड़ लिया। आत्मदाह के प्रयास की सूचना मिलते ही मौके पर अपनी टीम के साथ पहुंचे इंस्पेक्टर हजरतगंज राधा रमण सिंह आत्मदाह के प्रयास के मामले में संजय सिंह को पकड़कर कोतवाली ले गए। जहां उसकी तबियत बिगड़ने पर पुलिस ने संजय को सीविल अस्पताल में भर्ती कराया है। हजरतगंज पुलिस ने घटना के संबंध में जिला प्रशासन को अवगत कराने के साथ ही आगे की कार्रवाई की।
वहीं अस्पताल में भर्ती संजय सिंह ने आरोप लगाया है कि उसके नामांकन में कोई कमी नहीं होने के बाद भी उसका पर्चा निरस्त कर दिया गया है। जो सरासर गलत है, उसके साथ अगर न्याय नहीं किया गया तो वो आत्महत्या कर लेगा।
मड़ियांव क्षेत्र के निवासी संजय सिंह राणा ने मीडिया को बताया कि वह पिछले छह साल से भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ लड़ाई लड़ रहें हैं। इसी के चलते उनकी पत्नी की भी जान जा चुकी है। जो हादसा मेरे साथ हुआ वो मेरे किसी और गरीब भाई के साथ ना हो इसलिए वह ये लड़ाई लड़ रहे हैं।
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संजय का कहना था कि उनकी पत्नी की तबियत काफी खराब थी। तब उन्होंने पिछली सरकार के एक मंत्री से कहा कि अगर वो एक फोन कर देंगे तो उनकी पत्नी को पीजीआइ में भर्ती कर लिया जाएगा, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इस बीच इलाज के दौरान उन्होंने घर बेचकर साढ़े 13 लाख रुपए खर्च कर दिए, लेकिन पत्नी की जान नहीं बच सकी। संजय का कहना था कि आखिर हम लोग सांसद, विधायक क्यों चुनते हैं। जब इनसे हमें कोई मदद ही नहीं मिलती। पत्नी को खोने के बाद मैंने सिस्टम की कमियों को दूर करने के लिए लड़ाई शुरू की।
विधानसभा चुनाव में मिली थी चौथे नंबर की पोजिशन
संजय ने अपने बारे में बताते हुए आगे कहा कि उनका चुनाव निशान ऑटो रिक्शा है। उन्होंने 2017 में लखनऊ उत्तरी विधानसभा से चुनाव भी काफी दिक्कतों को उठाने के बाद लड़ा था, तब जनता ने उन्हें चौथे नंबर की पोजिशन दिलाई थी। अब एक बार फिर वो लोकसभा का चुनाव लड़कर जनता की आवाज बनना चाहते हैै तो उसे दबाया जा रहा है।
पहले नामांकन ओके फिर पर्चा निरस्त
निर्दलीय प्रत्याशी का दावा था कि नामांकन के दिन रात के 11 बजे उनका परचा जिला प्रशासन की ओर से ओके किया गया था, लेकिन अब बिना किसी कमी के उसे खारिज भी कर दिया गया है। इतना ही नहीं संजय ने आरोप लगाते हुए कहा कि दो दिन पहले इंस्पेक्टर गुडंबा ने उसे बहुत बेइज्जत किया। आरोप है कि परमिशन के बाद भी पुलिस जनसभाएं नहीं करने दे रही है। पुलिस सत्ता पक्ष के दबाव में आकर उन्हें परेशान कर रही है।