आरयू वेब टीम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से जनता को संबोधित किया। इस कार्यक्रम के 93वें एपिसोड में पीएम मोदी ने कहा कि, चीतों की वापसी से देश में खुशी है। इस दौरान पीएम ने लोगों से चीतों के नामकरण को लेकर भी सुझाव मांगा। साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि कुछ ही दिनों बाद देशवासी चीतों को देख सकेंगे। उन्होंने कहा कि चीतों के आने से देश में खुशी है। चीतों के लिए टास्क फोर्स भी बनाई गई है।
पीएम मोदी ने बताया कि ‘MyGov के प्लेटफॉर्म पर, एक कॉम्प्टीशन आयोजित किया जाएगा, जिसमें लोगों से मैं कुछ चीजें शेयर करने का आग्रह करता हूं। चीतों को लेकर जो हम अभियान चला रहे हैं, आखिर, उस अभियान का नाम क्या होना चाहिए? क्या हम इन सभी चीतों के नामकरण के बारे में भी सोच सकते हैं कि, इनमें से हर एक को किस नाम से बुलाया जाए? वैसे ये नामकरण अगर ट्रेडिशनल हो तो काफी अच्छा रहेगा क्योंकि अपने समाज और संस्कृति, परंपरा और विरासत से जुड़ी हुई कोई भी चीज, हमें, सहज ही, अपनी ओर आकर्षित करती है।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने 28 सितंबर को शहीद भगत सिंह को याद करने आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हर युवा भगत सिंह को याद करे। उन्होंने ये भी कहा कि चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम भगत सिंह के नाम पर होगा, जबकि पं. दीनदयाल उपाध्याय को याद करते हुए कहा कि आज 25 सितंबर को देश के प्रखर मानवतावादी, चिंतक पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्मदिन मनाया जाता है। उनके विचारों की खूबी यही रही है उन्होंने अपने जीवन में विश्व की बड़ी उथल-पुथल को देखा था। वे विचारधाराओं के संघर्षों के साक्षी बने।
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पीएम मोदी ने योग पर विशेष ध्यान देने की बात करते हुए कहा कि योग से आत्मविश्वास बढ़ता है। जलवायु परिवर्तन का जिक्र करते हुए उन्होंने देशवासियों से तटों को साफ रखने की अपील की। पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया अब इस बात को स्वीकार कर चुकी है कि फिजिकल और मेंटल वेलनेस के लिए योग बहुत ज्यादा कारगर है। विशेषकर डायबिटीज और ब्लड प्रेशर से जुड़ी मुश्किलों में योग से बहुत मदद मिलती है। योग की ऐसी ही शक्ति को देखते हुए 21 जून को संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाना तय किया हुआ है।
वहीं प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि इस समय देश में चारों ओर उत्सव की रौनक है। कल नवरात्रि का पहला दिन है। इसमें हम देवी के पहले स्वरूप ‘मां शैलपुत्री’ की उपासना करेंगे। यहां से नौ दिनों का नियम-संयम और उपवास, फिर विजयदशमी का पर्व भी होगा, यानि एक तरह से देखें तो हम पाएंगे कि हमारे पर्वों में आस्था और आध्यात्मिकता के साथ-साथ कितना गहरा संदेश भी छिपा है।