राज्यसभा में रक्षा मंत्री ने कहा, पैंगोंग लेक से सैनिकों को हटाने पर भारत-चीन के बीच समझौता, चरणबद्ध तरीके से पूरी होगी प्रक्रिया

पैंगोंग लेक
राज्यसभा में बोलते रक्षा मंत्री।

आरयू वेब टीम। भारत और चीन के बीच एलएसी पर जारी तनाव में अब खत्म होने के आसार हैं। दोनों देशों के बीच पैंगोंग लेक पर सैनिकों को पीछे हटाने का समझौता हो गया है। सितंबर माह से दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर पर जारी बातचीत के परिणाम स्वरूप दोनों देश पैंगोंग लेक के उत्तर और दक्षिण में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर सहमत हो गए हैं।

उक्त बातें गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में कही। साथ ही अपने बयान में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया की जानकारी भी दी और कहा यह प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी। रक्षा मंत्री ने आगे कहा’ पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ डिसएंगेजमेंट का जो समझौता हुआ है उसके मुताबिक दोनो पक्ष फारवर्ड डिप्लायमेंट फेज्ड , वेरिफाइड मैनर में हटाएंगे। चीन अपनी सेना की टुकड़ियों को नॉर्थ बैंक में फिंगर आठ के पूर्व की दिशा की तरफ रखेगा और इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकड़ियों को फिंगर तीन  के पास अपने स्थाई बेस धनसिंह थापा पोस्ट पर रखेगा। इसी तरह की कार्रवाई साउथ बैंक एरिया में भी दोनो पक्षों की तरफ से की जाएगी।’

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यह कदम आपसी समझौते के तहत बढ़ाए जाएंगे, तथा जो भी निर्माण दोनों पक्षों द्वारा अप्रैल 2020 से नार्थ और साउथ बैंक पर किया गया है उन्हें हटा दिया जाएगा और पुरानी स्थिति लागू की जाएगी। यह भी तय हुआ है कि दोनों पक्ष नॉर्थ बैंक पर अपनी सेना की गतिविधियां जिसमें परंपरागत स्थानों की पेट्रोलिंग भी शामिल है, को अस्थाई रूप से अस्थगित रखेंगे, पेट्रोलिंग तभी शुरू होगी जब सेना या राजनियिक स्तर पर आगे बातचीत करके समझौता किया जाएगा।

रक्षा मंत्री ने ये भी कहा कि, ‘इस समझौते पर कार्रवाई कल यानी बुधवार से नार्थ और  साउथ बैंक पर आरंभ हो गई है, उम्मीद है पिछले साल के गतिरोध से पहले जैसी स्थिति बहाल हो जाएगी। मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं, इस बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है, अभी भी एलएसी पर डिप्लायमेंट और पेट्रोलिंग के बारे में कुछ आउटस्टैंडिंग इश्यु बचे हैं जिनपर आगे की बातचीत में ध्यान रहेगा।’ इतना ही नहीं दोनों पक्ष इस बात पर सहमत है कि द्वीपक्षीय एग्रीमेंट के तहत पूर्ण डिस्एंगेजमेंट जल्द से जल्द कर लिया जाए। चीन भी देश की संप्रभुता की रक्षा के हमारे संकल्प से पूरी तरह और अच्छी तरह अवगत है, चीन द्वारा हमारे बचे हुए मुद्दों को हल करने का पूरी गंभीरता के साथ प्रयास किया जाएगा।’

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