इन तर्कों के साथ बोले सुरेंद्र त्रिवेदी, लालकृष्ण आडवाणी या राष्ट्रपति से कराना चाहिए राम मंदिर का भूमि पूजन

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। अयोध्‍या में राम मंदिर के भूमि पूजन की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही, वैसे-वैसे राजनीतिक हलचल भी भूमि पूजन को लेकर तेज हो रही। गुरुवार को राष्‍ट्रीय लोकदल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भूमि पूजन किए जाने का लेकर सवाल उठाते हुए राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद या फिर लाल कृष्‍ण आडवाणी से भूमि पूजन कराने की बात कही है।

रालोद के प्रदेश प्रवक्‍ता सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी ने आज राम मंदिर के निर्माण का स्वागत करते हुए कहा है कि मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन राम जन्मभूमि आंदोलन की अगुवाई करने वाले लालकृष्ण आडवाणी के कर कमलों से न कराकर देश के प्रधानमंत्री के द्वारा सम्पन्न कराया जा रहा है।

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उन्होंने इस पर आश्‍चर्य जताते हुए कहा कि श्रीराम जन्म भूमि ट्रस्ट को इस बात का ध्यान रखना चाहिए था कि इस बारे में पूरे देश को जगाने का काम आडवाणी जी ने ही किया था अतः यह श्रेय उन्हें ही मिलना चाहिए था।

त्रिवेदी ने कहा कि जन्म भूमि आन्दोलन का श्रेय उसके जन्मदाता गोरक्षपीठाधीश्‍वर बृम्हलीन महंत दिग्विजय नाथ के बाद महंत नृत्य गोपाल दास, विश्‍व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल और लालकृष्ण आडवाणी को जाता है।

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प्रधानमंत्री द्वारा भूमि पूजन पर सवाल उठाते हुए सुरेंद्र त्रिवेदी ने कहा कि  अगर ट्रस्ट के सदस्यों की इच्छा उच्च संवैधानिक पद पर आसीन किसी व्यक्ति से ही भूमि पूजन कराने की थी तो देश के प्रथम नागरिक व सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के कर कमलों द्वारा कराना चाहिए था।

सुरेंद्र त्रिवेदी ने आशंका व्यक्‍त करते हुए मीडिया से आगे कहा कि हो सकता है कि भूमि पूजन के नामों पर विचार करते समय किसी प्रकार की जाति वादी सोच ने दलित जाति का होने के कारण राष्ट्रपति के नाम पर विचार न किया हो।

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रालोद प्रवक्ता ने कहा कि राम ने शबरी नामक भीलनी के जूठे बेर खाये थे इसलिए अयोध्या धाम में इस प्रकार की मानसिकता को स्थान नहीं मिलना चाहिए। राम राज्य की कल्पना समदर्शी और सर्व समाज के कल्याण की भावना के बिना संभव नहीं है।

उन्होंने आशा करते हुए कहा कि अब भाजपा के लोग अपनी सोच बदलने की प्रक्रिया को अपनाकर देश से संप्रदायवाद और जातिवाद को दूर करें और सामाजिक समरसता की गंगा बहाकर नव निर्माण की भी नींव रखें।