राम मंदिर निर्माण पर मोदी सरकार का बड़ा दांव, सुप्रीम कोर्ट से कहा लौटाई जाए गैर विवादित भूमि

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आरयू वेब टीम। 

अयोध्‍या में राम मंदिर निर्माण को लेकर अपने ही समर्थकों से घिरती जा रही मोदी सरकार ने मंगलवार को एक बड़ा दांव खेला है। केंद्र सरकार ने आज उच्‍चतम न्‍यायालय में याचिका दायर अपील की है कि राम जन्मभूमि से संबंधित गैर विवादित जमीन को वापस लौटा दिया जाय।

सरकार मे याचिका में कहा है कि उसके पास राम जन्मभूमि से संबंधित कुल 67 एकड़ जमीन है। जिसमें से 2.77 एकड़ विवादित जमीन का भी हिस्सा है। ऐसे में जो गैर विवादित जमीन है उसे राम जन्मभूमि न्यास सहित दूसरे मालिकों को लौटा दिया जाय। इसके अलावा उसके पास 0.313 एकड़ जमीन का हिस्सा जरुरत से ज्यादा भी है। उसे भी लौटा दिया जाए।

माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ऐसा कर राम मंदिर निर्माण के समर्थकों को यह संदेश देना चाहती है कि वह राम मंदिर निर्माण के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। जिससे कि वोटरों की नाराजगी दूर हो सके।

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बताते चलें कि 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई में कहा था कि जब तक कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक राम जन्मभूमि से संबंधित जमीन केंद्र के पास रहेगी। अब केंद्र सरकार यही जमीन लौटाना चाहती है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह तीन एकड़ विवादित जमीन अपने पास रखना चाहती है। बाकी जमीन उसके मालिक जन्मभूमि न्यास को लौटा दी जाए।

इस जमीन का अधिग्रहण 1993 में कांग्रेस की तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने किया था। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 2003 में अधिग्रहित 67.707 एकड़ जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने और किसी भी तरह की कोई भी धार्मिक गतिविधि न होने देने का निर्देश दिया था।

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वहीं 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अयोध्या विवाद को लेकर फैसला सुनाया था। जिस जमीन को जस्टिस सुधीर अग्रवाल, जस्टिस एस यू खान और जस्टिस डी वी शर्मा की बेंच ने तीन हिस्सों में बांटा था।

जिसमें रामलला विराजमान वाला हिस्सा हिंदू महासभा को दिया गया। दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को और तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया है। जिसके बाद बाबरी मस्जिद पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में फैसले की पुर्नसमीक्षा की याचिका दायर की थी। जिस पर 29 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट की नवगठित बेंच को सुनवाई करनी थी।

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वहीं अब केंद्र सरकार ने याचिका में कहा है कि विवादित जमीन के अलावा जो भूमि अधिग्रहित की गई थी, उसकी वजह यह थी कि विवाद के निपटारे के बाद उस विवादित जमीन पर कब्जे/उपयोग में कोई बाधा न हो। उस अतिरिक्त जमीनी का विवादित जमीन से कोई संबंध नहीं है इसलिए इसे जन्मभूमि न्यास को लौटा दिया जाए।

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