मोहन भागवत के बयान पर मसूद अहमद ने कहा राम मंदिर के नाम पर करना चाहते है वोटो का ध्रुवीकरण

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आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। शुक्रवार को कर्नाटक में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान पर राष्ट्रीय लोकदल ने कड़ी आपत्ति जताई है जिसमें उन्‍होंने कहा है कि अयोध्‍या में सिर्फ राम मंदिर बनेगा। संघ प्रमुख का यह बयान ऐसे समय आया है जब एक ओर उत्‍तर प्रदेश में निकाय चुनाव हो रहे हैं तो गुजरात विधानसभा में चुनाव होने वाले हैं। साथ ही दूसरी ओर श्री श्री रविशंकर समेत तमाम लोग बातचीत से अयोध्‍या मसले को हल करने के प्रयास में लगे हैं।

वहीं रालोद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने निशाना साधते हुए अपने एक बयान में कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का यह कहना अयोध्या में राम मंदिर के अलावा कुछ नहीं बनेगा बड़ा हास्यापद लगता है। ऐसा लगता है कि भारतीय संविधान उन्होंने कोई साधारण पुस्तक और माननीय सर्वोच्च न्यायालय को अपने घर का घरौंदा समझ रखा है।

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प्रदेश अध्‍यक्ष ने तर्क देते हुए कहा कि पांच दिसंबर से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस की सुनवायी शुरू होने जा रही है। जहां पर दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जायेगा। इस विचारणीय मुकदमें में मोहन भागवत कोई पक्षकार भी नहीं हैं और न ही कोई गवाह हैं। यह जरूर है कि चुनाव के समय भारतीय जनता पार्टी का मुखौटा बनकर वोटो का ध्रुवीकरण राम मंदिर के बहाने करना चाहते हैं।

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चुनाव बाद सो जाती है इनकी आस्‍था

उन्‍होंने आगे कहा कि अब उत्‍तर प्रदेश के साथ ही पूरे देश की जनता विश्‍व हिंदू परिषद, बजरंग दल तथा अन्य आनुशंगिक संगठनों की भावना पहचान चुकी है। इन सभी वर्गो के मुखिया चुनाव के समय आस्था का राग अलापने लगते हैं और चुनाव के बाद इनकी आस्था सो जाती है।

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सरकार ऐसे लोगों पर दर्ज करें राष्‍ट्रद्रोह का मुकदमा

मसूद अहमद ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट कानून की धरती है। उसका फैसला सर्वोपरि होगा और सभी सम्प्रदायों को उसे मानना होगा। अयोध्‍या में मंदिर बनेगी या मस्जिद या फिर दोनों बनेंगे यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर आधारित है। ये हर कोई जानता है।

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इसके बाद भी जो लोग अभी से गलत बयानी कर रहे हैं वे निश्चित रूप से भारतीय संविधान में आस्था न रखने वाले लोग हैं। सहीं अर्थो में वह देशद्रोही भी है। सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज करें ताकि आम जनता की भावना को भड़काना बंद हो सके।

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