भाजपा सरकार के बिल को रालोद अध्‍यक्ष ने बताया लूटेरों का विकास व नकली दवा कारोबारियों को राहत देने वाला

जन विश्वास बिल
रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल ने मोदी सरकार के जन विश्वास बिल का विरोध करते हुए कहा कि अब नकली दवा बनाने वाले मात्र जुर्माना देकर ही बच जाएंगे। रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने लोकसभा में पारित जन विश्वास बिल पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि मोदी सरकार जो जन विश्वास बिल लायी है उससे आम नागरिकों तथा मरीजों और तीमारदारों का क्या भला होगा? वहीं सरकार पर निशाना साधाते हुए कहा कि ये बिल जन विश्वास बिल नहीं बल्कि लुटेरों का विकास और नकली दवाओं के कारोबारियों को राहत देने का बिल है।

मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए रालोद नेता ने कहा कि इस बिल के माध्यम से भाजपा सरकार अवैध कारोबारियों को बड़ी राहत देने की तैयारी में लगी है। इसमें अपराध की सजा को कम कर दिया गया है, जिससे उनका मनोबल और बढ़ जायेगा। इससे आम जनता को भारी नुकसान होने की सम्भावना है। कुल मिलाकर देखा जाय तो जो अभी तक अपराध के दायरे में था अब उसे सिर्फ जुर्माने तक ही सीमित कर दिया गया है। जिन अपराधों में जेल का प्राविधान था अब उसमें सिर्फ जुर्माना देकर ही वह साफ बच जाएंगे।

अपराधी प्रवृत्ति के लोग खुलकर जीवन से खिलवाड़…

रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने हमला जारी रखते हुए कहा कि इस बिल से तो सिर्फ नकली दवा बनाने वालों को ही राहत मिलेगी, क्योंकि अब नकली दवा देने से किसी की मौत होगी तो दवा बनाने वाले को जेल नहीं होगी, बल्कि वह जुर्माना देकर साफ बच जाएगा। इस प्रकार अपराधी प्रवृत्ति के लोग खुलकर सामाजिक जीवन से खिलवाड़ कर सकेंगे। देश के प्रधानमंत्री देशवासियों के जीवन से खिलवाड़ कराने में अपना योगदान देकर देश की भोली भाली जनता को क्या बताना चाहते हैं?

नकली दवाओं की जड़े कर देगा मजबूत

वहीं तंज कसते हुए कहा कि इस बिल का नाम यह जन विश्वास बिल न होकर जन विश्वासघात बिल होना चाहिए। यह बिल नकली दवाओं के जाल की जड़े और मजबूत कर देगा, क्योंकि मिलावट खोर अब जेल जाने से बच जाएंगे। उन्होंने कहा कि नकली दवाओं के सेवन न जाने कितने लोगों की जान जा रही है। नकली दवा व्यापारी कम रेट पर बिना बिल के दवाओं का कारोबार करते हैं। इस बिल से आम जनता को सिर्फ नुकसान ही उठाना पड़ेगा।

बता दें कि भारी हंगामे के बीच लोकसभा में जनविश्वास बिल पारित कर दिया गया है। इस बिल के जरिये गड़बड़ी करने वाले कारोबारियों को काफी राहत मिलेगी। क्योंकि इसमें 42 अधिनियमों के 188 प्रावधानों का संशोधन कर छोटी-मोटी गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का प्रस्ताव किया गया है। कई प्रावधानों को अपराध मुक्त करने से गड़बड़ी करने के बाद भी कारोबारियों को अब जेल नहीं जाना पड़ेगा। अब वे जुर्माना देकर बच जाएंगे।

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पिछले नौ वर्षों के शासनकाल के दौरान मोदी सरकार ने लगभग 40 हजार प्रावधानों और प्रतिक्रियाओं को या तो सरल बना दिया गया या हटा दिया गया। मोदी सरकार अब तक 1486 पुराने कानूनों को निरस्त कर चुकी है।

वहीं जनविश्वास संशोधन विधेयक के तहत धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) में भी संशोधन करने का प्रस्ताव है। इस अधिनियम के पैराग्राफ 25 और 27 को हटाया गया है। इन प्रावधानों को हटाने से प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियां कम हो जाएंगी। सरकार का तर्क है कि इससे अदालतों का बोझ कुछ कम होगा। मुकद्दमों की संख्या घटेगी। इस बिल में कई अपराधों में सजा की बजाय जुर्माने का प्रावधान किया गया है और जिन सजाओं में पहले से जुर्माना लग रहा है, वहां जुर्माना राशि बढ़ा देने का प्रस्ताव​ किया गया है।

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