आरयू ब्यूरो, लखनऊ। छह साल पूरे होने की खुशी में एक ओर मोदी सरकार देश भर की जनता में अपनी उपलब्धियां बयान कर रही है। वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार की कमियों को लेकर विपक्ष उसपर हमला बोल रहा है। शनिवार को राष्ट्रीय लोकदल ने मोदी सरकार की कमियों को गिनाने के साथ ही लॉकडाउन की सबसे ज्यादा त्रासदी झेल रहे मजूदरों का भी दर्द बयान किया।
रालोद के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी ने आज एक बयान में कहा कि सरकार का पूंजीवादी व्यवस्था में भरोसा और कारपोरेट घरानों से लगाव ही मजदूरों की दुर्दशा का कारण है। वहीं उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आज जनता के नाम लिखे गए पत्र को लेकर कहा कि जिस देश में विशाल जनमानस दुखी हो और कोई उम्मीद धरातल पर न दिखाई दे रही हो उसके भी मोदी सरकार अपनी सफलता के गीत गाये और देशवासियों को भावनात्मक पत्र लिखे यह दोनों ही परिस्थितियां विचित्र लगती है।
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हमला जारी रखते हुए सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी ने कहा कि “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास जैसे नारों के साथ मोदी सरकार ने काम शुरू किया था लेकिन सबका साथ पाकर भी सबका विकास करने और सबका विश्वास जीतने में सरकार नाकाम रही।
अल्पसंख्यक वर्ग का वोट लेने के बाद भी…
इस कार्यकाल में देश के अल्पसंख्यक वर्ग का वोट लेने के बाद भी उनका भरोसा जीतने में मोदी सरकार फेल रही। नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित करके लगभग 35 प्रतिशत जनसंख्या वाले अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की ऐसी भावना को जन्म दिया जो आने वाले समय में दूर होती नजर नहीं आती। दिल्ली के शाहीन बाग,लखनऊ के घण्टाघर और गोमतीनगर के साथ-साथ कानपुर, आजमगढ़, संभल, सहारनपुर व अन्य जिलों की अल्पसंख्यक महिलाओं द्वारा महीनों तक चलाये गए ऐतिहासिक धरनों की दूसरी मिसाल देश के इतिहास में नहीं मिलती है। धरनास्थलों पर मोदी सरकार के किसी भी प्रतिनिधि का न जाना भी लोकतंत्र में बहुत हास्यास्पद है।
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किसानों की अशिक्षा का लाभ उठाकर भाजपा ने…
साथ ही प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि देश के किसानों और मजदूरों का वर्ग कुल आबादी का 80 प्रतिशत है। सरकार के पिछले कार्यकाल से लेकर अब तक किसानों की अशिक्षा का लाभ उठाकर भाजपा ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने, गन्ने का मूल्य बढा़ने, उनकी आय दुगुनी करने जैसे अनेकों लालीपाप किसानों को दिखाये। खाद के मूल्यों में वृद्धि से लेकर बिजली और डीजल की कीमतों में भी बेतहाशा बढो़त्तरी की गई। कर्जमाफी के नाम पर लाखों किसानों के सम्मान को ठेस पहुंचाने में भी सरकार को कोई संकोच नहीं रहा।