आरयू वेब टीम। कृषि बिल के विरोध में हंगामा करने वाले आठ सांसदों को राज्यसभा स्पीकर वेंकैया नायडू पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया है। जिसके बाद सोमवार को तृणमूल कांग्रेस की मुखिया व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।
ममता बनर्जी ने कहा, किसानों के हितों की रक्षा के लिए लड़ने वाले आठ सांसदों का निलंबन दुर्भाग्यपूर्ण है। इस लोकतांत्रिक सरकार की मानसिकता चिंतनशील है, जो लोकतांत्रिक मानदंडों और सिद्धांतों का सम्मान नहीं करती है। हम संसद और सड़कों पर इस फासीवादी सरकार से लड़ते रहेंगे।
गौरतलब है कि विपक्ष ने सोमवार को अपने सदस्यों के निलंबन के बाद हंगामा कर राज्यसभा की कार्यवाही को चार बार स्थगित करने के लिए मजबूर कर दिया. उच्च सदन को पहले सुबह दस बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। जब कार्यवाही शुरू हुई तो निलंबित हुए विपक्षी सांसदों ने सदन से बाहर जाने से मना कर दिया और नारेबाजी करने लगे जिसके कारण इसे सुबह 10.36 बजे तक के लिए फिर स्थगित कर दिया गया।
राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही आठ सांसदों को निलंबित कर दिया। ये सासंद तृणमूल, कांग्रेस, माकपा और आम आदमी पार्टी के हैं। इन पर रविवार को संसद में हंगामा करने और राज्यसभा की कार्यवाही को बाधित करने का आरोप है।
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इस प्रस्ताव को संसदीय मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने आगे बढ़ाया और सदन ने तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ब्रायन और डोला सेन, कांग्रेस के राजीव सातव, रिपुन बोरा, नासिर हुसैन, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और के.के. रागेश और माकपा के ई. करीम को निलंबित कर दिया। राज्यसभा में ध्वनिमत से प्रस्ताव मंजूर किए जाने के बाद सदस्यों ने नारेबाजी की।
इससे पहले, सभापति नायडू ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन है और ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ और ‘निंदनीय’ है। उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया। नायडू ने उप सभापति का बचाव किया और कहा कि उपसभापति ने नियम का पालन किया है।