स्वामी प्रसाद मौर्य ने किया अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान, नाम व झंडा आया सामने

आरएसएसपी

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा देने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य एक अपनी नई पार्टी का गठन करेंगे। जिसे लेकर उन्होंने नए पार्टी का नाम और झंडे को लॉन्च कर दिया है। नई पार्टी का नाम राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी (आरएसएसपी) होगा। इसके झंडे में नीला, लाल और हरा रंग होगा।

22 फरवरी को होगा कार्यकर्ताओं का समागम

आज इसका ऐलान करते हुए स्‍वामी प्रसाद मौर्या ने कहा 22 फरवरी को दिल्ली में कार्यकर्ताओं का समागम होगा और उसी दिन फैसला सुनाया जाएगा। सपा छोड़ने को लेकर उन्‍होंने कहा कि जब संगठन में ही भेदभाव है, एक राष्ट्रीय महासचिव का हर बयान निजी हो जाता है, जब पद में ही भेदभाव है और मैं भेदभाव के खिलाफ ही लड़ाई लड़ता हूं तो ऐसे पद पर रहने का औचित्य क्या है? इसलिए सारे विवरण का उल्लेख करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष को 13 तारीख को इस्तीफे का पत्र भेजा था, उन्होंने बात करना मुनासिब नहीं समझा इसलिए मैं कदम आगे बढ़ा रहा हूं। अब कार्यकर्ता तय करेंगे कि उन्हें क्या करना है।

जो भी दिया ससम्मान कर दूंगा वापस

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के पार्टी में आने-जाने वाले बयान पर सोमवार को स्वामी प्रसाद ने कहा उनकी कही बात उनको मुबारक। ये सब जानते हैं कि वो सरकार में नहीं हैं। न उनकी सरकार केंद्र में है न प्रदेश में है कुछ देने की हैसियत में भी नहीं हैं और वो जो भी दिए हैं वो ससम्मान वापस भी कर दूंगा। क्योंकि मेरे लिए पद मायने नहीं रखता। मेरे लिए विचार माने रखता है। दलितों, आदिवासियों, पिछड़ो, देश की महिलाओं, गरीबों, मजलूमों, मजदूरों, किसानों का हित मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उस पर जब भी कुठाराघात होगा। मैं पलटवार जरूर करूंगा। करता भी रहा हूं आगे भी करूंगा, इसलिए अखिलेश जी की कही बात उनको मुबारक।

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गौरतलब है कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने कुछ दिन पहले ही सपा में उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाए और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अखिलेश यादव को पत्र लिखकर कहा था कि डॉ. राम मनोहर लोहिया और डॉ. भीमराव आंबेडकर सहित सामाजिक न्याय के पक्षधर लोगों ने 85 बनाम 15 का नारा जारी किया था, लेकिन समाजवादी पार्टी इस नारे का लगातार प्रभाव पड़ने से रोक रही है।

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आगे कहा था कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी बड़ी संख्या में प्रत्याशियों का पर्चा व सिंबल दाखिल होने के बाद अचानक उम्मीदवारों को बदला गया था। इसके बावजूद वह पार्टी का जनाधार बढ़ाने में सफल रहे थे विधानसभा के अंदर पार्टी को 45 से 110 पर पहुंचा दिया था। जबसे मैं समाजवादी पार्टी में शामिल हुआ हुं तब से ही पार्टी का जनाधार बढ़ाने की लगातार कोशिश किया है। इसी समय में मैंने दलितों, आदिवासियों व पिछड़ों को जो जाने-अनजाने भाजपा के मकड़ जाल में फंसकर भाजपा मय हो गए उनके सम्मान व स्वाभिमान को जगाकर व सावधान कर वापस लाने की हर संभव कोशिश की है।

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